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डोर-डू-डोर कूड़ा कलेक्शन में मुजफ्फरपुर नगर निगम पूरी तरह से विफल

Muzaffarpur Nagar nigam घरों तक नहीं पहुंच रही निगम की गाड़ी लोग करते रहते हैं इंतजार। बीच रास्ते में ही भटक गया शहर को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 01:19 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 01:19 PM (IST)
डोर-डू-डोर कूड़ा कलेक्शन में मुजफ्फरपुर नगर निगम पूरी तरह से विफल
डोर-डू-डोर कूड़ा कलेक्शन में मुजफ्फरपुर नगर निगम पूरी तरह से विफल

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Muzaffarpur Nagar nigam : शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए चार साल पूर्व स्वच्छ, स्वस्थ एवं समृद्ध कार्यक्रम की शुरुआत नगर निगम ने की थी। घरों से कचरा लेने के लिए डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन अभियान की शुरुआत की गई। एक साल के अंदर शहर के सभी वार्डों में अभियान को सफल बनाना था। लेकिन यह योजना अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। निगम की उदासीनता से बीच रास्ते में भटक गई। जिन वार्डों में घर-घर कचरा कलेक्शन होता था अब वह बंद हो चुका है। आज भी लोग निगम की गाड़ी के आने का इंतजार करते हैं लेकिन इंतजार समाप्त नहीं हो पाता।

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आइटीसी ने भी अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया

सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई)एवं इंडियन टोबैको कंपनी (आइटीसी)की मदद से निगम ने इस योजना की शुरुआत की थी। दोनों एजेंसियों ने बड़े-बड़े दावे किए थे। इसके नाम पर जमकर अपनी ब्रॉडिंग की गई। सीएसई बीच रास्ते से गायब हो गई। हाल में आइटीसी ने भी अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया। जबकि योजना को शत प्रतिशत लागू करने को वर्ष 2016 में दोनों एजेंसियों ने नगर निगम से करार किया था।

चालीस हजार घरों में बांटे गए 80 हजार डस्टबिन

शहर के सभी वार्डों में 80 हजार डस्टबिन बांटे गए। 40 हजार परिवारों को हरे एवं नीले रंग के दो-दो डस्टबिन दिए गए। एक में गीला एवं दूसरे में सूखा कचरा जमा करने के लिए शहरवासियों को प्रेरित किया गया। लोगों ने ऐसा करना शुरू भी कर दिया लेकिन निगमकर्मी घरों में अलग-अलग रखे गए कचरे का कलेक्शन नहीं कर पाए। बचे बीस हजार परिवारों को निगम डस्टबिन नहीं उपलब्ध करा पाया।

बीस टिपर से 49 वार्डों का कचरा कलेक्शन

निगम के पास मात्र बीच गार्बेज टिपर है जिसमें सूखे एवं गीले कचरे को अलग-अलग रखने की व्यवस्था भी है। सभी वार्डो में योजना को शुरू करने के लिए बड़ी संख्या में आटो टिपर चाहिए था जो नही हो पाया। पचास नए गार्बेज टिपर की खरीदारी हुई लेकिन यह खरीदारी घोटाले में फंस गई। पार्षद, वार्ड-29 रंजू सिन्हा ने कहा कि लोगों को जगा कर निगम स्वयं सो गया। एजेंसी अपना नाम चमका कर निकल गई। निगम के अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि डोर-टू-डोर कूड़ा अभियान उनके कार्यकाल में आरंभ हुआ। अभियान की शुरुआत अच्छे से हुई। लेकिन बाद के दिनों में अधिकारी सजग नहीं रहे जिससे यह योजना ठीक से काम नहीं का पा रही। जल्द ही इसे फिर से पटरी पर लाया जाएगा।

कचरे का वैज्ञानिक प्रबंधन जरूरी

निगम के सेवानिवृत्त सफाई प्रभारी अमरेंद्र कुमार सिन्हा कहते हैं कि शहर को स्वच्छ एवं शहरवासियों को स्वस्थ रखने के लिए यह जरूरी है कि कचरे का वैज्ञानिक प्रबंधन हो। शहर को गंदगी मुक्त करने में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना को शत प्रतिशत सफल बनाने की जरूरत है। इससे घरों एवं बस्तियों में कचरे का अंबार नहीं लगेगा। इसके लिए निगम को गंभीर होना होगा। एक बार इस पर बड़ी राशि खर्च करनी होगी। इसके बाद निगम को लाभ मिलेगा।  


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