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Air Pollution: वायु प्रदूषण में मुजफ्फरपुर देश में अव्वल, 101 शहरों के जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक में सबसे प्रदूषित

मंगलवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार मुजफ्फरपुर में पीएम2.5 का स्तर 394 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया।

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 10:57 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 10:57 PM (IST)
Air Pollution: वायु प्रदूषण में मुजफ्फरपुर देश में अव्वल, 101 शहरों के जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक में सबसे प्रदूषित
Air Pollution: वायु प्रदूषण में मुजफ्फरपुर देश में अव्वल, 101 शहरों के जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक में सबसे प्रदूषित

मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। मुजफ्फरपुर में मंगलवार को वायु प्रदूषण का स्तर देशभर में सबसे अधिक रहा। वहीं, पटना की हवा को दिल्ली, गाजियाबाद, गुरुग्राम और लखनऊ से अधिक खराब रिकॉर्ड की गई।  केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक (air quality index) के अनुसार मुजफ्फरपुर में पीएम2.5 का स्तर 394 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया। 

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  देश के 101 शहरों के जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक में मुजफ्फरपुर के बाद कानपुर दूसरे स्थान पर सबसे प्रदूषित रहा। बनारस और तालचर के बाद पटना की हवा सबसे प्रदूषित रही। पटना में पीएम2.5 का स्तर 337 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। कानपुर का पीएम2.5 स्तर 342, बनारस का 352 और लखनऊ का 309 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। देश के अन्य शहरों का पीएम 2.5 स्तर 300 के आंकड़े से नीचे रहा।

सड़क पर पसरी रहती नालियों की गाद

नालियों से निकलने वाला गाद काफी समय तक सड़क पर ही पसरा रहता है। इस कारण भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। जबकि कचरा निकालने के साथ ही गाद को भी हटा कर ब्लीचिंग आदि का छिड़काव करना चाहिए।

खुले में मिट्टी की ढुलाई

तिरपाल से ढके बगैर ट्रैक्टर से मिट्टी की ढुलाई धड़ल्ले से की जा रही है। इसके साथ ही क्लिंकर, सीमेंट, गिट्टी-बालू की ढुलाई भी खुले तौर पर की जा रही है। इसके कारण शहर में सड़कों पर धूल की परत जमती जा रही है।

ईंट-भट्ठों पर पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की नजर

जिले में 350 से अधिक ईंट-भट्ठों में कोयले का उपयोग होता है। यह भी प्रदूषण को फैलाता है। पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि ब्रिक्स क्लीन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल करने से चिमनी का प्रदूषण स्तर काफी कम हो जाता है। जिले में मात्र 40 भट्ठा संचालक ही आदेश का पालन कर रहे हैं। मुशहरी, मड़वन, बोचहां, कुढऩी, कांटी स्थित करीब 100 चिमनियों के मालिकों को नोटिस भेजा जा रहा है।   


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