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Marvelous: मुजफ्फरपुर के इंजीनियरिंग छात्र ने प्लास्टिक कचरे से बनाई ईंट, विशेषज्ञों की राय का इंतजार

Marvelous प्लास्टिक कचरे को पिघलाकर उसमें बालू और स्टोन चिप्स मिलाकर तैयार की सामान्य से अधिक मजबूत ईंट। प्रयोग सफल हुआ तो कचरा प्रबंधन का बेहतर विकल्प एनआइटी जालंधर के कांफ्रेंस में प्रेजेंटेशन देेंगे सत्यम।सत्यम की मानें तो स्टोन चिप्स से ईंट में कांप्रेसिव मजबूती मिली।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 08:25 AM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 08:25 AM (IST)
Marvelous: मुजफ्फरपुर के इंजीनियरिंग छात्र ने प्लास्टिक कचरे से बनाई ईंट, विशेषज्ञों की राय का इंतजार
सत्यम की मानें तो स्टोन चिप्स से ईंट में कांप्रेसिव मजबूती मिली। फोटो: जागरण

मुजफ्फरपुर, [प्रेम शंकर मिश्रा]। Marvelous: कोरोना कहर ने जनजीवन को हर स्तर पर प्रभावित किया है। ङ्क्षजदगी और रोजगार बचाने की जद्दोजहद जारी है। इस बीच जिले के एक युवा ने कचरा प्रबंधन का विकल्प तैयार किया है। रामदयालुनगर निवासी इंजीनियरिंग के छात्र सत्यम कुमार (21) ने प्लास्टिक कचरे से ईंट तैयार की है। यह सामान्य ईंट से अधिक मजबूत है। उनका प्रयोग अभी शुरुआती चरण में है, मगर उम्मीद की एक किरण जगी है।

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वर्ष 2018 में आइआइटी-जेईई परीक्षा पास करने के बाद फरीदबाद के वाईएमसीए यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियङ्क्षरग में सत्यम को नामांकन मिला। वह सिविल शाखा में तीसरे वर्ष के छात्र हैं। पहले वर्ष की पढ़ाई ही सही से हो सकी। इसके बाद कोरोना कहर से कॉलेज बंद हो गया। कचरा प्रबंधन का प्रोजेक्ट घर पर ही पूरा करना था। ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी, मगर प्रोजेक्ट का कार्य नहीं हो पाया था। इस दौरान उन्होंने देखा कि घर के आगे लोग कचरा फेंकते थे और बाद में जला देते। घर में ही स्कूल चलाने वाले पिता संजय कुमार ने पुत्र से इसका उपाय निकालने को कहा। उन्होंने इसी से प्रोजेक्ट पूरा करने की सोची। कचरे में से कुछ पॉलीथिन निकाले। उसे घर में ही चूल्हे पर पिघलाया। कुछ छोटे स्टोन चिप्स और बालू मिलाए। एक सांचे में ढालकर ईंट का आकार दे दिया। सत्यम की मानें तो स्टोन चिप्स से ईंट में कांप्रेसिव मजबूती मिली। बालू के कारण बने छिद्र (पोर्स) से इसमें नमी नहीं आएगी। एक ईंट के लिए करीब डेढ़ किलो प्लास्टिक कचरा, ढाई सौ ग्राम बालू और स्टोन चिप्स के कुछ टुकड़े की जरूरत होती है।

कम खर्च में बन सकती बेहतर ईंट

पिछला लॉकडाउन खत्म होने के बाद उनके प्रोजेक्ट को कॉलेज की प्रयोगशाला में जांचा गया। कंप्रेसिव स्ट्रेंथ 8.825 मेगा पास्कल (एमपीए) पाया गया। भवन निर्माण में बेहतर ईंट का कंप्रेसिव स्ट्रेंथ करीब 10 एमपीए होता है। दो या तीन नंबर की ईंट में यह मान छह के आसपास होता है। उनका दावा है कि कम खर्च में बेहतर ईंट बन सकती है।

ई-फ्रैबिक मिलाने से आए सकारात्मक परिणाम

कॉलेज फिर बंद हो गए हैं। सत्यम का इस प्रोजेक्ट पर काम जारी है। चूंकि प्लास्टिक आग में ज्वलनशील है। इसे अग्नि प्रतिरोधक बनाना है। ई-फैब्रिक (कम्प्यूटर का कचरा) मिलाने से परिणाम सकारात्मक आए हैं। इसी तरह के प्रयोग से प्लास्टिक कचरे से एनएच बनाया जा रहा है। एनआइटी जालंधर में 25 से 27 जून को होने वाले वर्चुअल कांफ्रेंस में प्रोजेक्ट की प्रस्तुति देंगे। यहां विशेषज्ञों की टिप्पणी व सलाह से प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद मिलेगी। ईंट के अलावा इसका इस्तेमाल फुटपाथ में लगने वाले पेवर ब्लॉक, बाथरूम टाइल्स में भी किया जा सकता है। इसे मनचाहा रंग देकर आकर्षक बनाया जा सकता है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ.विनोद कुमार राय ने कहते हैं कि प्लास्टिक कचरे से ईंट बनाने का प्रयोग उत्साहवर्धक है। यह महत्वपूर्ण है कि भूकंप और आग जैसी आपदा में इस तरह की ईंट का प्रयोग कितना कारगर होगा। इसपर अभी काम करने की जरूरत है। हां, पेवर ब्लॉक के रूप में इसका बेहतर इस्तेमाल हो सकता है।  


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