Muzaffarpur DTO में बड़े पैमाने पर चल रहा फर्जी कागजात बनाने का खेल
Muzaffarpur DTO सरकारी दफ्तर के कर्मी से लेकर कई अपराधी भी शामिल। नाम सामने आने के बाद भी पुलिस ने नहीं की थी कार्रवाई। दामोदरपुर से पकड़े गए संदिग्धों से पूछताछ में पुलिस को पता लगा कि उसके कई रिश्तेदार भी डीटीओ में बिचौलिए का काम करते हैं।
मुजफ्फरपुर, जासं। जिले में बड़े पैमाने पर चोरी के वाहनों के फर्जी कागजात तैयार करने का खेल चल रहा है। इसमें सरकारी दफ्तर के कर्मी से लेकर कई अपराधी भी शामिल हैंं। दामोदरपुर से पकड़े गए संदिग्धों से पूछताछ में पुलिस को पता लगा कि उसके कई रिश्तेदार भी डीटीओ में बिचौलिए का काम करते हैं। उसमें कुछ पहले भी विभिन्न मामलों में जेल जा चुके हैं। इन बिचौलियों का आतंक इतना है कि डीटीओ ऑफिस के कर्मचारियों पर पहले भी कई बार हमला कर चुके हैं।
तीन साल पूर्व ऑपरेटर पर हुआ था हमला
करीब तीन साल पूर्व ऑफिस के एक ऑपरेटर पर उस वक्त हमला किया था जब ऑफिस के राजस्व की राशि लेकर जिला परिषद कैंपस स्थित बैंक में जमा करने जा रहे थे। इस घटना के बाद डीटीओ ऑफिस के बाहर बम विस्फोट भी किया गया था। इसके बाद भी तीन बार डीटीओ ऑफिस के क्लर्क व अन्य कर्मी पर ऑफिस के बाहर हमला हो चुका है। डीटीओ कर्मी सत्येंद्र सिंह को शाम में आइजी कार्यालय के समीप गोली और चाकू घोंप घायल कर दिया गया था। तत्कालीन प्रोग्रामर सारिक बशीरी पर ब्रहमपुरा और अखिलेश पर चंद्रलोक चौक पर जानलेवा हमला भी हो चुका है।
2004 में लगी थी आग
साल 2004 में जब डीटीओ में सभी कार्य मैनुअल होता था। उस समय पूरे बिल्डिंग में आग लग गई थी। चर्चा हुई थी कि जानबूझकर एक बड़े घोटाले को दबाने के लिए आग लगाई गई थी। इस दौरान यह भी बात सामने आई थी कि कई प्रतिबंधित व्यक्तियों के नाम से लाइसेंस बना दिए गए थे।
अफगानियों के बन गए थे लाइसेंस
दो साल पूर्व कई अफगानियों का ड्राइविंग लाइसेंस डीटीओ द्वारा बनाकर जारी कर दिया गया था। पुलिस ने कुछ अफगानियों को गिरफ्तार भी किया था। लेकिन, यह नहीं सत्यापन हो सका कि आखिर किस आधार पर डीटीओ से लाइसेंस बनाया गया था।
रुपये के खेल में यहां नामुमकिन कुछ भी नहीं
परिवहन विभाग में माफिया तंत्र काफी सक्रिय है। यहां रुपये के खेल में कोई काम नामुमकिन नहीं। हर नामुमकिन काम के लिए यहां रकम तय है। आए दिन इस तरह के कई मामले सामने आते रहे हैं जिसने यहां के सिस्टम पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया है। बताया जाता है कि नामुमकिन काम को मुमकिन करने का सौदा यहां देर शाम शुरू होता है। इसकी वजह से कई कर्मी देर रात तक यहां रुके रहते हैं। इनके पास गैर कानूनी काम कराने वालों की भीड़ रहती है। डीटीओ एवं एमवीआइ के कार्यालय से जाते ही सौदाबाजी शुरू होती है। पिछले दिनों एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर की दो गाडिय़ों का भी मामला सामने आया था। इसमें नगर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई। मगर दोषी कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं हो सकी।
सरैयागंज के एक व्यक्ति का आया था नाम, पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
गत साल शेरपुर से चोरी के ट्रक के साथ चार शातिरों को सदर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पूछताछ में सरैयागंज के एक व्यक्ति का नाम सामने आया था। वह गिरोह का सरगना था। उसकी डीटीओ में अच्छी पकड़ थी। चोरी की वाहनों का वह फर्जी कागजात तैयार कराता था। नाम सामने आने के बाद बावजूद पुलिस ने उसके बारे में डीटीओ से कोई जानकारी नहीं ली। उसकी गिरफ्तारी का प्रयास भी नहीं किया।
हाई लेवल पर चल रहा खेल
पुलिस की मानें तो जिले में चोरी की वाहनों का फर्जी कागजात बनाने का हाईलेवल खेल चल रहा है। इसमें सरकारी दफ्तरों से लेकर कई अपराधी शामिल हैं। एसएसपी ने कहा कि पूरे सिंडिकेंट का पता लगाकर कार्रवाई की जाएगी।