Move to Jagran APP

मुजफ्फरपुर: कम उत्पादन के बाद भी लीची किसानों के हौसले बुलंद, अगली फसल की तैयारी शुरू

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने अगली फसल के लिए एडवायजरी जारी की है। इस पर किसान लीची बागों की हल्की जोताई की तैयारी कर रहे ताकि खरपतवार नष्ट हो जाएं। जोताई के बाद इसमें अंतरवर्ती फसलें जैसेे लोबिया या हरी खाद के लिए ढैंचा सनई आदि की बुआई कर रहे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 11:48 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 11:48 AM (IST)
मुजफ्फरपुर: कम उत्पादन के बाद भी लीची किसानों के हौसले बुलंद, अगली फसल की तैयारी शुरू
लीची बाग के प्रबंधन में जुट गए किसान, कर रहे पुराने बाग की कटाई-छंटाई। फोटो- जागरण

मुजफ्फरपुर, जासं। बीते दो साल से लीची का उत्पादन कम हो रहा है। इसके बाद भी जिले के तकरीबन 40 हजार लीची किसानोंं का हौसला कम नहीं हुआ है। वे अभी से अगली फसल की तैयारी में जुट गए हैं। साथ ही बाग में अंतरवर्ती फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने अगली फसल के लिए एडवायजरी जारी की है। इस पर किसान लीची बागों की हल्की जोताई की तैयारी कर रहे, ताकि खरपतवार नष्ट हो जाएं। जोताई के बाद इसमें अंतरवर्ती फसलें जैसेे लोबिया या हरी खाद के लिए ढैंचा, सनई आदि की बुआई की तैयारी कर रहे। किसान पुराने बाग की गहन कटाई-छंटाई में लग गए हैं। इसके अलावा बहुत से किसान नए बाग लगाने की तैयारी कर रहे। वैशाली के किसान आलोक कुमार ने 50 पौधों की मांग लीची अनुसंधान केंद्र से की है। इसके साथ वहां के तीन अन्य किसान भी एक हजार पौधे लगा रहे हैं। सघन बागवानी परियोजना के तहत अगस्त से लीची पौधारोपण अभियान चलेगा। राज्य सरकार के इस अभियान में लीची अनुसंधान केंद्र तकनीकी सहयोग कर रहा है। इस दौरान भी बहुत से किसान पौधे लगाने की तैयारी में हैं। लगातार बारिश से लीची के बागों पर असर पड़ा है। किसान लीची विज्ञानियों की सलाह के अनुसार बाग की देखभाल कर रहे हैं। 

loksabha election banner

खाद के साथ दे रहे पोषक तत्व

रतवारा के प्रगतिशील किसान केशवनंदन का 10 एकड़ में बाग है। वे अगली फसल की तैयारी में जुट गए हैं। प्रति पेड़ 40 किलो कंपोस्ट, दो किलो नीम की खली, तीन से चार किलो अरंडी की खली व सूक्ष्म पोषक में ङ्क्षजक, सल्फर दे रहे हैं। वह कहते हैं कि फल की तोड़ाई के बाद मंजर आने से पहले तक बाग प्रबंधन जरूरी है। लीची उत्पादक किसान बच्चा प्रसाद ङ्क्षसह का छह एकड़ में बाग है। वे भी बाग के प्रबंधन में जुट गए हैं। वह कहते हैं कि लीची की क्वालिटी के लिए यह जरूरी है।

नए बाग को 40 हजार पौधे तैयार कर रहा अनुसंधान केंद्र

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा. एसडी पांडेय ने बताया कि हर साल दो से तीन फीसद नए बाग लगते हैं। नए बाग के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल के किसान व नर्सरी वाले संपर्क में हैं। इस साल 40 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं। पहले से तैयार पौधे का वितरण चल रहा है। इसके तरह उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में छह हजार व सहारनपुर में दो हजार पौधे भेजे गए हैं।

बाग प्रबंधन जरूरी

रतवारा के प्रगतिशील किसान केशवनंदन कहते है की उनका 10 एकड़ में बाग है। वे अगली फसल की तैयारी में जुट गए हैं। प्रति पेड़ 40 किलो कंपोस्ट, दो किलो नीम की खली, तीन से चार किलो अरंडी की खली व सूक्ष्म पोषक में जिंक सल्फर दे रहे हैं। वह कहते हैं कि फल की तोड़ाई के बाद मंजर आने से पहले तक बाग प्रबंधन जरूरी है। लीची उत्पादक किसान बच्चा प्रसाद सिंह का छह एकड़ में बाग है। वे भी बाग के प्रबंधन में जुट गए हैं। वह कहते हैं कि लीची था की क्वालिटी के लिए यह जरूरी है। हर पेड़ का ख्याल रखना पड़ता है ।उचित देखभाल व प्रबंधन ही बेहतर क्वालिटी का फल दे सकता है।

इस हेल्पलाइन पर किसान ले सकते सलाह

डॉ. एसडी पांडेय, निदेशक : 9835274642

डॉ. एसके सिंह, वरीय विज्ञानी : 9546891510

डॉ. विनोद कुमार, प्रधान विज्ञानी: 9162601599


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.