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मुजफ्फरपुर: शव को पहुंचाने व संस्कार में 15 से 20 हजार वसूले, इस बार घर से ही लाने का इंतजाम

कोरोना से मरने वाले को सरकारी खर्च से लाने और सिकंदरपुर मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार की मिलेगी सुविधा।श्मशान घाट पर एक साथ 11 शवों को जलाने की रहेगी व्यवस्था। दूसरी लहर में अव्यवस्था रही हावी परेशान होते रहे स्वजन।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 11:48 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 11:48 AM (IST)
मुजफ्फरपुर: शव को पहुंचाने व संस्कार में 15 से 20 हजार वसूले, इस बार घर से ही लाने का इंतजाम
निगम की ओर से दो शव वाहनों का इंतजाम किया गया है। फोटो- जागरण

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान श्मशान घाटों पर अव्यवस्था हावी रही। अस्पताल व घर से शव को घाट तक ले जाने में आम आदमी परेशान रहा। हालत ऐसी रही कि शहर के मिठनपुरा, शेरपुर, जूरनछपरा, बैरिया, ब्रह्मïपुरा यानी किसी भी इलाके से शव ले जाने का सहारा एंबुलेंस व शव वाहन रहे। इसके लिए पीडि़त स्वजनों से 15 से 20 हजार रुपये तक वसूले गए। शहर के प्रमुख श्मशान घाट मुक्तिधाम में भी स्वजन रसीद कटाकर शव को छोड़कर जाते रहे। उसे कोई छूने को तैयार नहीं था। शव जलाने वाले मजदूरों की टोली भी व्यक्ति का कद देखकर खर्च लेती रही। स्वजन अपनी जेब ढीली करते रहे। इस बार शव को घर से लाने की सुविधा है। निगम की ओर से दो शव वाहनों का इंतजाम किया गया है। 

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पिछली लहर को याद कर सहम जाते अशोक

नगर निगम की ओर से मुक्तिधाम में तैनात मुख्य प्रभारी रमेश ओझा व सहायक केयर टेकर अशोक कुमार विपरीत हालात में भी वहां पर शवों के अंतिम संस्कार का इंतजाम करते रहे। सहायक केयर टेकर अशोक कहते हंै कि मुखाग्नि देने तक के लिए कोई तैयार नहीं था। दर्जनभर से ज्यादा शवों का खुद अंतिम संस्कार कराया। 17 अप्रैल को 50 से 58 तक शव आ गए। पुराने दिनों को याद कर उनका चेहरा सहम जाता है। कहते हैं कि 50 शवों को एक दिन में जलाना पड़ा। सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि क्या हालत होगी? कोरोना में अपनी औलाद को भी आग देने से लोग परहेज कर रहे थे। नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा कि कोरोना से मरने वाले के शव को निशुल्क लाने और अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई है। दो केयर टेकर व मजदूर भी उपलब्ध कराए गए हैैं।

दूसरी लहर में ये रहे हालात

- अपने से शव लाकर जलाने की थी व्यवस्था।

- मुक्तिधाम में लकड़ी से लेकर अंतिम संस्कार का सामान कोरोना से मरने वाले के स्वजन करते रहे।

- शव जलाने में सहयोग करने वालों की टोली भी श्मशान तक लाने को लेती रही मुंहमांगी कीमत।

- निगम का शव वाहन आया, लेकिन तबतक अंतिम मुकाम पर थी लहर।

- निगम की ओर से सामान्य दिनों में आठ तो उस समय रखने पड़े 50 मजदूर।

इस बार ये रहेगी व्यवस्था

- कोरोना से मृत के शव को लाने के लिए मुफ्त में वाहन व अंतिम संस्कार के लिए सात हजार की राशि का निगम ने किया प्रावधान।

- 11 शवों को एक साथ जलाने की रहेगी व्यवस्था, लकड़ी, गोइंठा व आटोमेटिक मशीन से जलेगा शव

- पहले शव जलाने को तीन घंटे तक स्वजन को रहना पड़ता था। अब 30 से 45 मिनट तक ही रुकना पड़ेगा।

मुक्तिधाम परिसर में ये मिलेंगी सुविधाएं

- अंतिम संस्कार के सामान के लिए खुला काउंटर, सात लाइसेंसी लकड़ी की दुकानें उपलब्ध, तय दर पर मिल रही लकड़ी।

- निगम की ओर से तीन हजार, 5500 व 1100 की दर शव जलाने के लिए की गई तय।

- अंतिम संस्कार को कफन व अन्य सामान की किट भी रियायती दर पर उपलब्ध कराने के लिए खुला काउंटर।  


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