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लंगट सिंह कॉलेज में जिंदा होंगी महापुरुषों की यादें, लगाई जाएंगी प्रतिमाएं

नगर विकास मंत्री ने शनिवार को लंगट सिंह कॉलेज का मुआयना किया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 08:00 AM (IST)
लंगट सिंह कॉलेज में जिंदा होंगी महापुरुषों की यादें, लगाई जाएंगी प्रतिमाएं
लंगट सिंह कॉलेज में जिंदा होंगी महापुरुषों की यादें, लगाई जाएंगी प्रतिमाएं

मुजफ्फरपुर। नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने शनिवार को लंगट सिंह महाविद्यालय का मुआयना किया और उसके विकास में हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। प्राचार्य प्रो. डॉ. ओमप्रकाश राय की मांग पर मंत्री ने राजेंद्र बाबू की आदमकद प्रतिमा के साथ आचार्य कृपलानी व राष्ट्रकवि की प्रतिमा लगाने की इच्छा भी जताई। कहा कि इस कॉलेज का विकास देखकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है। प्राचार्य ने कहा कि अपनी गौरवपूर्ण शैक्षणिक सेवाओं से देश और समाज के परिवेश में ज्ञान-विज्ञान की अखंड ज्योति जलाने वाला लंगट सिंह महाविद्यालय अनेक महापुरुषों की कर्मस्थली रही है। इन महापुरुषों की योग्यता और कार्यकुशलता से कॉलेज की मिट्टी सिंचित हुई थी तथा ज्ञान की पिपासा शात हुई थी।

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सुबह-सुबह पहुंचे मंत्री और किया मुआयना

मंत्री सुबह 10 बजे पहुंच गए और पूरे कैंपस का मुआयना किया। प्राचार्य व शिक्षकों के साथ बैठक कर महाविद्यालय के सर्वागीण विकास पर चर्चा की। पूरे कैंपस में साफ-सफाई और शैक्षणिक माहौल को देखकर प्रसन्नता जताई। गांधी पार्क में फव्वारा लगाने की बात कही। डयूक हॉस्टल में भी घूमे और वहां विद्यार्थियों से मिलकर हालचाल पूछा। आगे भी हर संभव सहयोग का भरोसा दिया।

प्रतिमा के लिए किया स्थल का निरीक्षण

ड्यूक हॉस्टल के बगल वाले पार्क में राष्ट्रकवि दिनकर तो गांधी पार्क मे आचार्य कृपलानी की मूर्ति लगेगी। महात्मा गांधी की प्रतिमा की सुरक्षा के लिए भी छतरी का निर्माण कराने पर चर्चा हुई। गांधी पार्क में राजेंद्र बाबू की प्रतिमा को आदमकद रूप देने का निर्णय हुआ। मौके पर पूर्व प्राचार्य प्रो. अनिल कुमार सिंह, डॉ. गोपालजी, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. ललित किशोर, डॉ. सतीश कुमार, डॉ. राजीव कुमार, रमेश कुमार समेत छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू व राष्ट्रकवि दिनकर की जुड़ी हैं यादें

इस कॉलेज ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में भारत को प्रथम राष्ट्रपति दिया। महाविद्यालय के स्थापना के प्रारंभिक काल में बतौर शिक्षक व प्रधानाध्यापक रहे। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर यहां इतिहास विभाग में शिक्षक रहे थे तथा अपनी 'उर्वर्शी', जिसपर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था, की रचना यहीं की थी। आचार्य कृपलानी ने अंग्रेजी और इतिहास के प्राध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य किया। कहते हैं तब भावी प्रधानमंत्री के लिए काग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार पटेल के बाद सबसे अधिक मत उनको ही मिले थे।


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