Akshat Utkarsh death case: मुबंई पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट व बॉडी लो और यहां से चले जाओ
Akshat Utkarsh death case पुलिस ने बस इतना ही बताया कि पांच-छह लोगों का बयान उसने रिकॉर्ड किया है। ये बयान किन लोगों के दर्ज किए गए हैं और उन लोगों ने क्या बताया इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं दी गई।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Akshat Utkarsh death case: विक्रांत किशोर ने बताया कि मुंबई पुलिस ने सहयोग नहीं किया। पुलिस अधिकारी ने कहा पोस्टमार्टम रिपोर्ट व बॉडी लो और आप जाओ। आपको इससे ज्यादा मतलब नहीं है। पुलिस ने उन्हें प्राथमिकी की कॉपी भी नहीं दी। पोस्टमार्टम कराने में भी आनाकानी की। मुंबई पुलिस का हवलदार बार-बार उन्हें यह समझाने का प्रयास करता रहा कि उसने हमारा काम करा दिया है। अंत में जब उन्होंने पुलिस वाले से कहा कि आपने हमारा काम नहीं कराया। जब बिहार से दो-चार फोन आए तब आप सामने आए। मुंबई पुलिस ने अमानवीय व्यवहार दिखाते हुए पोस्टमार्टम में काम आने वाला सामान उनसे दो बार खरीदवाया। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की या नहीं यह भी उन्हें नहीं बताया। पुलिस ने बस इतना ही बताया कि पांच-छह लोगों का बयान उसने रिकॉर्ड किया है। ये बयान किन लोगों के दर्ज किए गए हैं और उन लोगों ने क्या बताया इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं दी गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद जब उन्होंने अक्षत के सामान की मांग की तो पुलिस ने बताया कि मोबाइल जांच के लिए रखा गया है। अन्य सामान के लिए स्नेहा चौहान से संपर्क करने को कहा। पुलिस ने ही स्नेहा का नंबर उन्हें दिया। उस नंबर पर फोन किया तो वह दस मिनट में आने की बात बताई और कई बार फोन करने के बाद करीब 45 मिनट बाद अक्षत के प्रशिक्षक अभिनव चतुर्वेदी के साथ पहुंची। जब उसके साथ गए तो अक्षत का कमरा खुला था। पुलिस ने उसके कमरे को सील नहीं किया था। स्नेहा ने उन्हें बताया कि 27 सितंबर की शाम अक्षत दो लीटर दूध व बिस्किट का पैकेट लेकर कमरे पर आया था। उसने उसे दो बिस्किट दिए और अपने बेड पर चला गया। वह मोबाइल का हेडफोन लगाकर कुछ सुनने लगी। करीब डेढ़ घंटे के बाद कोई आहट नहीं हुई तो वह उसके कमरे में देखने गई कि वह क्या रहा है? वह अपने बिस्तर पर उचक कर बैठा था। उसके गले में गमछे का फंदा था। उसने इसकी सूचना हाउङ्क्षसग सोसाइटी के सचिव को दी। सचिव वहां पहुंचे और उन्होंने ही कैंची से गमछा को काटा। साथ ही पुलिस को सूचना दी। सोसाइटी के लोगों ने जांच की तो उसकी सांस व धड़कन नहीं चल रही थी।
चाचा पर रखी जा रही थी निगरानी
अक्षत के चाचा ने बताया कि मुंबई में उन पर निगरानी रखी जा रही थी। ये निगरानी सोसाइटी के सचिव अक्षत के प्रशिक्षक रहे अभिनव चतुर्वेदी व अन्य रख रहे थे। सब यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि वे मुंबई में अगला क्या कदम उठाने जा रहे हैं? जब वे स्नेहा से बात कर रहे थे तो दरवाजे की ओट में वे लोग बातें सुनने का प्रयास कर रहे थे।
एमबीए के बाद पकड़ी मुंबई की राह
अक्षत को अभिनय का बचपन से शौक था। दो साल पहले एमबीए करने के बाद फिल्मों में किस्मत आजमाने मुंबई निकल पड़ा था। वहां मुबंई के अंधेरी वेस्ट सुरेश नगर के आरटीओ लेन स्थित गोकुल बिङ्क्षल्डग की चौथी मंजिल पर 116 नंबर फ्लैट में रह रहा था। उसी फ्लैट के दूसरे कमरे में उसकी रूममेट स्नेहा चौहान रहती थी।
कॉलेज की साथी आकांक्षा से फोन पर हुआ था झगड़ा
विक्रांत किशोर ने बताया कि स्नेहा ने जानकारी दी कि एमबीए में अक्षत की क्लासमेट आकांक्षा दुबे से 27 सितंबर को झगड़ा हुआ था। रुपये के लेनदेन को लेकर दोनों के बीच यह विवाद हुआ था। उन्होंने नहीं बताया कि रुपये के लेनदेन का क्या मामला था?
27 की रात स्नेहा ने दी सूचना
विक्रांत किशोर ने बताया की 27 सितंबर की रात स्नेहा चौहान ने बेंगलुरु में रह रहे अक्षत के बुआ के लड़के को फोन किया। बताया कि अक्षत ने सुसाइड अटैक किया है। वह अस्पताल में भर्ती है। जब इस संबंध में स्नेहा से ज्यादा जानकारी लेनी चाही तो उसने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। इस पर कोकिलाबेन हॉस्पिटल के थाना में फोन किया तो वहां से अक्षत जहां रहता था वहां के थाना से संपर्क करने को कहा गया। उसी ने इंस्पेक्टर पोटे का नंबर दिया। पोटे ने फोन पर बताया कि अक्षत जिंदा है और कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती है। उसे पानी चढ़ाया जा रहा है। जब वे मुंबई जाने के लिए टिकट बुक करा रहे थे तो उसी समय इंस्पेक्टर पोटे ने फोन कर बताया कि अक्षत की मौत हो गई। उसके बाद जब मुंबई एयरपोर्ट पर थे तो पुलिस ने फोन कर थाने आने को कहा गया। उन्होंने पहले अस्पताल जाने की बात कही तो तो कोकिलाबेन हॉस्पिटल के बदले कूपर हॉस्पिटल के पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने को कहा गया।