मोतिहारी-सीतामढ़ी रेल परियोजना अधर में लटकी, बारह वर्ष बाद भी नहीं मिल सकी गति
रेल बजट में परियोजना के लिए मिले मात्र 10 लाख, अभी क्षेत्र के लोगों के रेल का सफर का सपना पूरा होने में लगेगा वक्त, 2007 में परियोजना का हुआ था शिलान्यास।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बापू की कर्मभूमि को माता सीता की जन्मभूमि से जोडऩे की महत्वकांक्षी मोतिहारी-सीतामढ़ी रेल परियोजना अधर में लटक गई है। 12 वर्ष बाद भी इस परियोजना में गति नहीं आ सकी है। इस बार के बजट में रेल मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए मात्र 10 लाख रुपये का आवंटन दिया है। यह आवंटन उंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।
हालांकि परियोजना में जान डालने के लिए हर बजट में कुछ न कुछ राशि जरूर दी जा रही है पर राशि कम होने के कारण यह योजना दम तोड़ रही है। 12 वर्ष पूर्व शुरू की गई इस रेल परियोजना को पंख नहीं लग सके हैं। स्थिति यह है कि यह परियोजना सर्वे व मिट्टी जांच के इर्द-गिर्द ही घूम रही है।
इस परियोजना के लिए जमीन का भी अधिग्रहण अभी तक नहीं हो सका है। इस योजना के शिलान्यास हुए 12 वर्ष को होने वाले हैं पर सीतामढ़ी और मोतिहारी के लोगों के सपने साकार होते हुए नहीं दिख रहे हैं।तत्कालीन रेल मंत्री ने 16 अक्टूबर 07 को किया था शिलान्यास
तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 16 अक्टूबर 07 को मोतिहारी-सीतामढ़ी नई रेल परियोजना की आधारशीला रखी थी। रेल परियोजना के शिलान्यास से मोतिहारी और सीतामढ़ी जिले के लाखों लोगों को एक नई उम्मीद जगी थी।
वहीं पूर्वोत्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रेलवे की सुविधा मिलने से विकास की गति तेज होगी। लेकिन रेल परियोजना के अधर में लटकते देख लोगों के सपने टूटने लगे हैं। बापूधाम मोतिहारी सहायक मंडल अभियंता अर्जुन सिंह ने कहा कि इस रेल परियोजना के लिए जब तक पर्याप्त मात्रा में राशि नहीं मिलेंगे, तब तक योजना में गति लाना मुश्किल होगा।
इस रेल परियोजना की स्थिति पर एक नजर
इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद बापूधाम मोतिहारी से सीतामढ़ी के बीच 76.7 किलोमीटर लंबाई के बीच तीन जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा। परियोजना की प्रारंभिक लागत 204 करोड़ थी। अब संशोधित लागत 524 करोड़ हो गई है। बापूधाम मोतिहारी- सीतामढ़ी के बीच 10 स्टेशन बनाने की योजना है। इसके तहत दो जंक्शन, पांच क्रासिंग व तीन हाल्ट स्टेशनों का निर्माण होना है।