मुआवजे का भुगतान नहीं होने पर मोतिहारी सर्किट हाउस की होगी नीलामी
बेतिया राज की 4 एकड़ 20 डिसमिल जमीन का 1967 में बिहार सरकार ने किया था अधिग्रहण, नहीं हुआ था मुआवजे का भुगतान।
मोतिहारी, जेएनएन। मोतिहारी सर्किट हाउस की नीलामी होगी। नीलामी से आनेवाली राशि बेतिया राज प्रबंधन को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी। राशि मूलधन पर 6 फीसद ब्याज के साथ राज को मिलेगी। इस सिलसिले में मोतिहारी स्थित प्रथम अवर न्यायाधीश श्रीप्रकाश मिश्र ने इजरायवाद संख्या-9/2008 में सुनवाई पूरी करते हुए सोमवार को आदेश पारित किया है। बताया गया है कि राज्य सरकार को लगातार नोटिस करने के बाद न्यायालय के समक्ष सरकार का पक्ष रखने के लिए कोई सरकारी प्रतिनिधि उपस्थिति नहीं हो सका। नतीजतन इस वाद में सुनवाई एक पक्षीय हुई। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में न्यायाधीश ने मुआवजे की राशि 6 फीसद ब्याज के साथ नौ लाख 5 हजार 569 रुपये देना होगा।
1967 में सर्किट हाउस निर्माण के लिए ली गई थी जमीन
याद रहे कि 1967 में सर्किट हाउस बनाने के लिए बिहार सरकार ने बेतिया राज की खेसरा नंबर 99, 123, 125, 184, 183, 187 व 189 से कुल 4 एकड़ 20 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण किया था। उक्त जमीन के अधिग्रहण के बाद बेतिया राज व राज्य सरकार के बीच भूमि अधिग्रहण वाद संख्या-77/1967 चला। वाद विचारण के बाद न्यायालय ने उक्त भूमि बेतिया राज की बताकर बेतिया राज के पक्ष में फैसला दिया। कहा कि 258446.94 रुपये 6 फीसद सूद सहित बेतिया राज प्रबंधन को दिया जाए।
सिविल कोर्ट के आदेश के विरूद्ध बिहार सरकार उच्च न्यायालय पटना गई। जहां उच्च न्यायालय ने सिविल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। बिहार सरकार मामले को सर्वोच्च न्यायालय में भी ले गई। परंतु, सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के आदेश को बहाल रखा। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में बेतिया राज ने 9 लाख 5 हजार 569 रुपये की वसूली के लिए न्यायालय में इजरायवाद 9/2008 दाखिल किया।
मोतिहारी सर्किट हाउस के लिए बनी 4 एकड़ 20 डिसमिल जमीन को निलाम करने का निवेदन न्यायालय से किया। न्यायालय ने बेतिया राज के आवेदन को स्वीकार कर बिहार सरकार को नोटिस भेजा। परंतु, बिहार सरकार का कोई प्रतिनिधि कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ। नतीजतन कोर्ट ने यह फैसला लिया। अंतत: न्यायाधीश ने एक पक्षीय सुनवाई करते हुए सर्किट हाउस की जमीन नीलाम करने का आदेश दिया।
मोतिहारी जिलाधिकारी रमण कुमार ने कहा कि कोर्ट के फैसले के बारे में जानकारी नहीं है। फैसले की प्रति आने के बाद इस दिशा में आगे की कार्रवाई की जाएगी।