मां और बेटी एक साथ करती पूजा, रोजा से कम नहीं इनके लिए छठ
चनपटिया प्रखंड के हारून का परिवार छठी मैया की पूजा-अर्चना की तैयारी में जुट गया है, दोनों मानती हैं कि महापर्व छठ धर्म और जाति से ऊपर है।
बेतिया [मनोज मिश्र] । सत्य व आस्था से साक्षात्कार होते ही मानसिक संकीर्णताएं खत्म हो जाती हैं। मजहब की दीवारें भी टूट जातीं। फिर नहीं रहता कोई भेद और बच जाता आस्था का भाव। पश्चिम चंपारण जिले के चनपटिया प्रखंड निवासी हारून मियां के परिवार की कहानी कुछ यही कहती है। इस परिवार की मां और बेटी एक साथ छठ करती हैं, जो बिरले देखने को मिलता। इनके लिए छठ, रोजा से तनिक भी कम महत्वपूर्ण नहीं। दोनों मानती हैं कि लोक आस्था का महापर्व छठ धर्म और जाति से ऊपर है।
चनपटिया प्रखंड के महनाकुली गांव के हारून का परिवार छठी मैया की पूजा-अर्चना की तैयारी में जुट गया है। पूरी पवित्रता के साथ उनकी पत्नी सलीना खातून और पुत्री सहाबुन छठ करती हैं। इस अवसर पर पूरा परिवार एकत्रित होता। आसपास के लोगों को भी आमंत्रित किया जाता।
छठ किया तो पुत्र रत्न की हुई प्राप्ति
सलीना कहती हैं कि शादी के कई वर्ष बाद चार बेटियों का जन्म हुआ। एक पुत्र की लालसा थी। करीब 12 वर्ष पहले गांव की महिलाओं को अपने घर के सामने से छठ घाट पर जाते देख उन्होंने भी छठी मैया से पुत्र की मन्नत मांगी। छठी मैया की कृपा से पुत्र इंतजार की किलकारी गूंजी। इसके बाद वह हर साल छठ पर्व करने लगीं। गांव की महिलाएं पर्व करने में मदद करतीं। अब तो मेरी पुत्री सहाबुन भी अपने पुत्र के लिए छठ करती हैं।
ग्रामीण करते पर्व में भरपूर मदद
मुस्लिम परिवार को छठ करता देख गांव वालों ने उनके लिए घाट भी बनवाया है। पूर्व मुखिया महना निवासी राकेश कुमार पांडेय उर्फ बबलू, मारकंडे सिंह, सूर्य पांडेय, प्रमोद मिश्र, प्रभु राय छोटन राय, सुग्रीव ठाकुर, भरत पटेल, संजय साह, महेंद्र साह, मुकेश कुमार का कहना है कि पर्व के मौके पर सलीना की सुविधा का ध्यान रखा जाता है।