AES in Muzaffarpur: एईएस पीडि़त अधिकांश बच्चे रहे हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार, जानिए
AES in Muzaffarpur इस बार मिले हरपेस डायसेलेक्ट्रोटिमिया मम्पस एनसीसी आदि प्रभावित बच्चे। मुशहरी कांटी मड़वन मीनापुर मोतीपुर बोचहां हाई रिस्क जोन में।
मुजफ्फरपुर [अमरेंद्र तिवारी]। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस से पीडि़त बच्चों में अधिकांश बच्चे हाइपोग्लाइसीमिया(लो ब्लड शुगर लेवल) के शिकार रहे। यूनिसेफ ने अपने अध्ययन में पाया कि इस बार बच्चों में लक्षण तो एईएस के रहे लेकिन कई अन्य बीमारियों की पहचान हुई। जिसमें टीबी व मम्पस आदि से पीडि़त रहे। हाइपोग्लाइसीमियामें पीडि़त बच्चे में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है। पिछले दो साल से मुशहरी, कांटी, मड़वन, मीनापुर, मोतीपुर, बोचहां हाई रिस्क जोन में है।
इस साल मृत्यु दर रही 8.6 फीसद कम
एसकेएमसीएच में इस साल अभीतक एईएस की शिकायत लेकर 101 बच्चे आए, जिनमें जेई के चार, अज्ञात एईएस के 19 एवं ज्ञात एईएस के 78 मामले सामने आए हैं। अभी तक वर्ष 2020 में कुल 12 बच्चों की मौत हुई है। पिछले साल के हिसाब से इस साल मृत्यु दर 8.6 प्रतिशत ही दर्ज की गई। इसमें से अधिकतर बच्चे हाइपोग्लाइसीमिया से पीडि़त रहे।
इस बार बच्चों में कई अन्य रोग की भी पहचान हुई है। इनमें हरपेस इंसेफेलाइटिस के 16, डायसेलेक्ट्रोटिमिया के 12, मम्पस के 3, एनसीसी के दो, पाइजेनिक मेनिनजाइटिस के एक, तपेदिक मेनिनजाइटिस के एक और एसेप्टिक मेनिनजाइटिस का एक मामले सामने आया। जिले में इस साल अबतक 29 मामले दर्ज हुए हैं। अज्ञात एईएस के 5 मामले और ज्ञात एईएस के 24 मामले सामने आए।
पिछले साल 60.6 फीसद लड़कियां एईएस की जंग हारीं
यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सैयद हुब्बे अली की मानें तो पिछले साल एईएस के 525 मामले दर्ज हुए थे। इनमें जेई के 16 मामले, अज्ञात एईएस के चार एवं ज्ञात एईएस के 505 मामले सामने आए। 117 बच्चों की मौत हुई थी। इनमें जेई से एक तथा एईएस से 116 मौत हुई थी। एईएस की जंग हारने वालों में लड़कियों का आंकड़ा 60.6 फीसद रहा था। मुजफ्फरपुर जिले में वर्ष 2019 में कुल 382 मामले दर्ज हुए थे। इनमें जेई के छह मामले, अज्ञात एईएस के तीन एवं ज्ञात एईएस के 373 मामले सामने आए। 82 बच्चों की मौत हुई थी।
इस बारे में सिविल सर्जन डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि 'एईएस की जागरूकता में यूनिसेफ व अन्य एजेंसियां सहयोग कर रहीं हैं। इस साल जागरूकता व मौसम की अनुकूलता से एईएस का कहर कम रहा। कोरोना का संकट कम होने के बाद आगे भी जागरूकता जारी रहेगी।Ó