Move to Jagran APP

पांच हजार मेडिकल स्टाफ के भरोसे मुजफ्फरपुर की 57 लाख आबादी

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले की जनसंख्या 57 लाख 80 हजार 479 है। वहीं इनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए चिकित्सक से लेकर पारा मेडिकल स्टाफ की संख्या 5660 ही है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि क्‍या हालत है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 01:59 PM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 01:59 PM (IST)
पांच हजार मेडिकल स्टाफ के भरोसे मुजफ्फरपुर की 57 लाख आबादी
एक पीएचसी पर तीन लाख से ज्यादा आबादी को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी।

मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की हालिया एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के स्वास्थ्य विभाग में डाक्टरों से लेकर नर्सेज और वार्ड ब्वायज तक 53.21 प्रतिशत कर्मियों की कमी है। इसका पूरा प्रभाव जिले पर भी है। जिले की जनसंख्या के मुताबिक चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ की कमी है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले की जनसंख्या 57 लाख 80 हजार 479 है। वहीं, इनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए चिकित्सक से लेकर पारा मेडिकल स्टाफ की संख्या 5,660 ही है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि किस तरह से सरकारी अस्पतालों के भरोसे आम आदमी का उपचार होगा।

loksabha election banner

जिले में हैैं 16 पीएचसी

जानकारी के अनुसार जिले में 16 पीएचसी हैं और जनसंख्या के हिसाब से एक पीएचसी पर तीन लाख की आबादी के स्वास्थ्य की देखरेख का जिम्मा है।

पद स्वीकृत कार्यरत

चिकित्सक ऐलोपैथ--379--252

विशेषज्ञ---54----16

आयुष--10---6

दंत चिकित्सक--17--15

एग्रेड नर्स--246---107

एएनएम---861----714

लैब टेक्नीशियन--164--47

फार्मासिस्ट---103---24

ड्रेसर---83----5

हेल्थ एडुकेटर--83--31

आशा----4510---4222

ममता---154---144

मानसिक व कान के नहीं हैैं चिकित्सक

सदर अस्पताल में मानसिक व कान के नियमित चिकित्सक नहीं हैं। इससे यहां आने वाले रोगियों को परेशानी का समाना करना पड़ रहा है। दिव्यांग बोर्ड भी समय से नहीं हो रहा है। इससे मरीज को एसकेएमसीएच या निजी अस्पताल में जाना पड़ता है। सदर अस्पताल में मानसिक रोगी को दिखाने आए मोतीपुर के रामपुकार ने बताया कि वह एक सप्ताह से लगातार परेशान हैं चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं। किसी तरह से पुरानी दवा खिलाकर काम चला रहे हंै। कान का इलाज कराने पहुंचीं बालूघाट की रोमा कुमारी ने बताया कि बेटी को सुनने में परेशानी है। यहां आने पर पता चला कि नियमित चिकित्सक नहीं आते हैैं। वह अब निजी अस्पताल में जाकर इलाज कराएंगी। इसी तरह की बातें मोतीझील के रोहित शंकर व बबीता देवी ने कहीं।

दो साल से बंद जमालाबाद सेंटर

शहर से सटे मुशहरी पीएचसी के अतर्गत आने वाले जमालाबाद अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर दो साल से ताला लटका है। भवन भी बना तो अधूरा। उसके बाद यहां पर कोई चिकित्सक नहीं आते हैं। दो एएनएम हैं जो रहती, लेकिन वह इलाज किस तरह से करेंगी। स्थानीय वार्ड पार्षद सुधीर कुमार बताया कि इस स्वास्थ्य केन्द्र से करीब सात से 10 हजार की आबादी जुड़ी है। जमालाबाद, मिठनसराय, मुस्तफापुर व नेउरा गांव के लोगों को इस सेंटर से लाभ होगा, लेकिन यहां पर ताला बंद रहता है। इसके लिए सिविल सर्जन से लेकर जिलाधिकारी तक शिकायत की गई। उसका कोई लाभ नहीं मिला। इस इलाके के मरीजों को एसकेएमसीएच या फिर निजी अस्पताल जाना पड़ता है। सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने कहा कि पीएचसी से लेकर सबसेंटर तक इलाज व्यवस्था मिले यह कोशिश है। सदर अस्पताल में मानसिक व कान के चिकित्सक के साथ जो भी पद खाली हैं उसके लिए विभाग को जानकारी दी गई है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इलाज चल रहा है।

ये होना चाहिए जो नहीं हो रहा

- जिस तरह से जिले की जनसंख्या बढ़ रही उसके हिसाब से पीएचसी की संख्या बढऩी चाहिए जो नहीं हो रहा।

- जिले के सभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर नियमित चिकित्सक सुनिश्चित किए जाएं।

- सदर अस्पताल में रोस्टर सही तरीके से लागू हो, जितने बेड उतने मरीज नियमित भर्ती हों तो काफी मदद मिलेगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.