पांच हजार मेडिकल स्टाफ के भरोसे मुजफ्फरपुर की 57 लाख आबादी
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले की जनसंख्या 57 लाख 80 हजार 479 है। वहीं इनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए चिकित्सक से लेकर पारा मेडिकल स्टाफ की संख्या 5660 ही है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि क्या हालत है।
मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की हालिया एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के स्वास्थ्य विभाग में डाक्टरों से लेकर नर्सेज और वार्ड ब्वायज तक 53.21 प्रतिशत कर्मियों की कमी है। इसका पूरा प्रभाव जिले पर भी है। जिले की जनसंख्या के मुताबिक चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ की कमी है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले की जनसंख्या 57 लाख 80 हजार 479 है। वहीं, इनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए चिकित्सक से लेकर पारा मेडिकल स्टाफ की संख्या 5,660 ही है। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि किस तरह से सरकारी अस्पतालों के भरोसे आम आदमी का उपचार होगा।
जिले में हैैं 16 पीएचसी
जानकारी के अनुसार जिले में 16 पीएचसी हैं और जनसंख्या के हिसाब से एक पीएचसी पर तीन लाख की आबादी के स्वास्थ्य की देखरेख का जिम्मा है।
पद स्वीकृत कार्यरत
चिकित्सक ऐलोपैथ--379--252
विशेषज्ञ---54----16
आयुष--10---6
दंत चिकित्सक--17--15
एग्रेड नर्स--246---107
एएनएम---861----714
लैब टेक्नीशियन--164--47
फार्मासिस्ट---103---24
ड्रेसर---83----5
हेल्थ एडुकेटर--83--31
आशा----4510---4222
ममता---154---144
मानसिक व कान के नहीं हैैं चिकित्सक
सदर अस्पताल में मानसिक व कान के नियमित चिकित्सक नहीं हैं। इससे यहां आने वाले रोगियों को परेशानी का समाना करना पड़ रहा है। दिव्यांग बोर्ड भी समय से नहीं हो रहा है। इससे मरीज को एसकेएमसीएच या निजी अस्पताल में जाना पड़ता है। सदर अस्पताल में मानसिक रोगी को दिखाने आए मोतीपुर के रामपुकार ने बताया कि वह एक सप्ताह से लगातार परेशान हैं चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं। किसी तरह से पुरानी दवा खिलाकर काम चला रहे हंै। कान का इलाज कराने पहुंचीं बालूघाट की रोमा कुमारी ने बताया कि बेटी को सुनने में परेशानी है। यहां आने पर पता चला कि नियमित चिकित्सक नहीं आते हैैं। वह अब निजी अस्पताल में जाकर इलाज कराएंगी। इसी तरह की बातें मोतीझील के रोहित शंकर व बबीता देवी ने कहीं।
दो साल से बंद जमालाबाद सेंटर
शहर से सटे मुशहरी पीएचसी के अतर्गत आने वाले जमालाबाद अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर दो साल से ताला लटका है। भवन भी बना तो अधूरा। उसके बाद यहां पर कोई चिकित्सक नहीं आते हैं। दो एएनएम हैं जो रहती, लेकिन वह इलाज किस तरह से करेंगी। स्थानीय वार्ड पार्षद सुधीर कुमार बताया कि इस स्वास्थ्य केन्द्र से करीब सात से 10 हजार की आबादी जुड़ी है। जमालाबाद, मिठनसराय, मुस्तफापुर व नेउरा गांव के लोगों को इस सेंटर से लाभ होगा, लेकिन यहां पर ताला बंद रहता है। इसके लिए सिविल सर्जन से लेकर जिलाधिकारी तक शिकायत की गई। उसका कोई लाभ नहीं मिला। इस इलाके के मरीजों को एसकेएमसीएच या फिर निजी अस्पताल जाना पड़ता है। सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा ने कहा कि पीएचसी से लेकर सबसेंटर तक इलाज व्यवस्था मिले यह कोशिश है। सदर अस्पताल में मानसिक व कान के चिकित्सक के साथ जो भी पद खाली हैं उसके लिए विभाग को जानकारी दी गई है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इलाज चल रहा है।
ये होना चाहिए जो नहीं हो रहा
- जिस तरह से जिले की जनसंख्या बढ़ रही उसके हिसाब से पीएचसी की संख्या बढऩी चाहिए जो नहीं हो रहा।
- जिले के सभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर नियमित चिकित्सक सुनिश्चित किए जाएं।
- सदर अस्पताल में रोस्टर सही तरीके से लागू हो, जितने बेड उतने मरीज नियमित भर्ती हों तो काफी मदद मिलेगी।