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पर्यावरण संरक्षण के प्रयास को झटका, बाढ़ में डूब गए 21 हजार से अधिक पौधे Muzaffarpur News

25 हजार पौधे वन विभाग ने लगाए थे बसंत और वर्षाकालीन योजना के तहत। 47 पदों के बदले दो वनरक्षी कार्यरत कामकाज पर पड़ रहा असर।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 09:43 AM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 09:43 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण के प्रयास को झटका, बाढ़ में डूब गए 21 हजार से अधिक पौधे Muzaffarpur News
पर्यावरण संरक्षण के प्रयास को झटका, बाढ़ में डूब गए 21 हजार से अधिक पौधे Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पर्यावरण संरक्षण का सपना बाढ़ में डूब गया। वन विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत लगाए गए पौधों को बाढ़ के पानी ने लील लिया। बसंतकालीन व वर्षाकालीन पौधारोपण योजना 2018-19 के तहत लगाए गए 25 हजार पौधों में 21 हजार 400 पौधे बाढ़ के पानी में डूब गए। पर्यावरण संरक्षण की उम्मीद को झटका लगने के साथ ही लाखों रुपये बर्बाद हो गए। वन विभाग बाढ़ के पानी से बर्बाद पौधों का आकलन कर रहा।

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कहां कितने पौधे डूबे

-जर्मी-बरियारपुर के पांच किमी में 3000 पौधे लगाए गए थे। सभी डूब गए।

-मझौली से बुधनगर पांच किमी में 3000 पौधे लगे। इनमें 1500 बाढ़ के पानी में डूब गए।

-मैठी से कन्या नगर पांच किमी में 3000 पौधे लगे। इनमें 2200 डूब गए।

-सिरारी से पितौछा छह किमी में 3000 पौधे लगाए गए। सभी डूब गए।

-हनुमान नगर से धनवारा छह किमी में 3000 पौधे लगाए गए। ये भी पौधे पूरी तरह से बर्बाद हो गए।

-भुसाही से ललवन्ना सात किमी में 5000 पौधे लगे। बाढ़ में 4000 डूब गए।

-नून कदाने नदी के आठ किमी में 5000 पौधे लगाए गए। इनमें सभी पौधे डूब चुके हैं।

एक वनपाल और दो वनरक्षी के सहारे पौधों की सुरक्षा

पेड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन पर है, जिले में उनकी स्थिति चिंताजनक है। एक वनपाल एवं दो वनरक्षी के भरोसे जिले के पौधों की सुरक्षा है। इससे सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। पिछले कई वर्षों से पद रिक्त है। बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर वन प्रमंडल में वनपाल के 13 पद सृजित हैं। इस पर मात्र एक ही कार्यरत हैं। वहीं, वनरक्षी के 47 पदों के बदले दो कार्यरत हैं।

 इस बारे में डीएफओ सुधीर कुमार कर्ण ने कहा कि बाढ़ के पानी में काफी संख्या में पौधे डूब गए हैं। इसका आकलन किया जा रहा है। 

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