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देववती जैविक उद्यान देखने मुजफ्फरपुर के औराई जाएंगे मोहन भागवत

12.5 एकड़ खेत में एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत जैविक खेती कर रहे गोपाल शाही। इनके उद्यान में 4700 महोगनी 1500 नींबू 461 आम व 1450 सतावर के वृक्ष़ प्रत्येक वर्ष तैयार करते 20 हजार इमारती लकड़ी के पौधे।

By Ajit kumarEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 09:39 AM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 09:39 AM (IST)
देववती जैविक उद्यान देखने मुजफ्फरपुर के औराई जाएंगे मोहन भागवत
राजस्व व भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने जैविक उद्यान का जायजा लिया।

मुजफ्फरपुर, जासं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत रविवार 14 फरवरी को प्रखंड अंतर्गत राजखंड जाएंगे जहां गोपाल प्रसाद शाही के देववती जैविक उद्यान में जैविक खेती को देखेंगे। संघ प्रमुख के आगमन को लेकर वहां तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। पुपरी मोड़ से लेकर देववती जैविक उद्यान तक सड़कें चकाचक की जा रहीं हैं। इस बीच शुक्रवार की शाम राजस्व व भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने जैविक उद्यान का जायजा लिया। वहां की तैयारियों को भी देखा।

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12.5 एकड़ में करते जैविक खेती

शाही पुश्तैनी 12.5 एकड़ खेत में एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत जैविक खेती कर रहे हैं। ये इलाके के लोगों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। इनके उद्यान में साढ़े तीन एकड़ में पोखर है। 4700 महोगनी, 1500 नींबू, 461 आम व 1450 सतावर के वृक्ष़ हैं। प्रत्येक वर्ष 20 हजार इमारती लकड़ी के पौधे तैयार कर वन विभाग को सौंपते हैं। तेलहन, दलहन व सब्जी की खेती करते हैं।

गोविंदाचार्य के नेतृत्व में लिया प्रशिक्षण

शाही ने बताया कि वर्ष 2013 में बनारस के नजदीक डगमग में सूर्यकांत जालान के 70 एकड़ के ऑर्गेनिक फार्म में गोविंदाचार्य के नेतृत्व में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया था। वहीं से प्रेरणा लेकर स्वयं के लिए ऑर्गेनिक खेती का ब्लू प्रिंट तैयार किया।

2014 में की देववती जैविक उद्यान की स्थापना

2014 में इन्होंने देववती जैविक उद्यान की स्थापना की। पौधारोपण, फल, सब्जी, इमारती लकड़ी उगाने के साथ मछली पालन शुरू किया। वर्मी कंपोस्ट बनाना शुरू किया। बाबा रामदेव की गोशाला से साहिवाल नस्ल की एक बछिया लेकर आए। हालांकि बाढ़ मेंं इनकी एकीकृत खेती को काफी क्षति पहुंची। कई वरीय अधिकारी इनके जैविक उद्यान का निरीक्षण कर चुके हैं।

बैंक से ऋण लेकर मछली पालन में उतरे

ढोली फिशरी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एससी राय से नीली क्रांति की जानकारी ली। साढ़े 12 एकड़ जमीन में इसके लिए 76 लाख का प्रोजेक्ट बनाया। बैंक ऑफ इंडिया की रुन्नीसैदपुर शाखा से 16 लाख रुपये का ऋण मिला। मछली पालन में एक लाख 40 हजार रुपये का अनुदान भी मिला। बीते वर्ष डेढ़ एकड़ के पोखर में 32 क्विंटल मछली का उत्पादन हुआ था। मछलियां आसपास के मल्लाह बेचने के लिए ले जाते हैं। उद्यान में उत्पादित तेलहन, दलहन व सब्जियां स्थानीय व्यापारियों के हाथों बिक्री करते हैं।

इन किसानों ने ली प्रेरणा

राजखंड के नरेंद्र शाही, शंभू शाही, रमेश यादव, जयप्रकाश यादव आदि ने शाही की प्रेरणा से आर्गेनिक खेती शुरू की है। इनलोगों का कहना है कि परंपरागत खेती से अधिक आर्गेनिक खेती से लाभ मिल रहा है।  


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