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मोहन भागवत का बड़ा बयान- देश के लिए तीन दिनों में सेना तैयार कर देगा संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने मुजफ्फरपुर में कहा कि देश को जरूरत पड़ी तो तीन दिनों में आरएसएस की सेना तैयार हो जाएगी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 11 Feb 2018 04:27 PM (IST)Updated: Sun, 11 Feb 2018 11:41 PM (IST)
मोहन भागवत का बड़ा बयान- देश के लिए तीन दिनों में सेना तैयार कर देगा संघ
मोहन भागवत का बड़ा बयान- देश के लिए तीन दिनों में सेना तैयार कर देगा संघ

पटना/मुजफ्फरपुर [जागरण टीम]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा है कि उनके स्वयंसेवक देश की रक्षा के लिए तैयार हैं। देश को जरूरत पड़ी और संविधान इजाजत दे, तो तीन दिनों में ही वे सेना के रूप में मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार हो जाएंगे। हमें संघ और संगठन की नहीं, बल्कि देश की चिंता है। उन्‍होंने रविवार को मुजफ्फरपुर के जिला स्कूल मैदान में आयोजित स्वयंसेवकों के खुले सम्मेलन और पटना शाखा मैदान में स्‍वयंसेवकों को संबोधित किया।

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मातृभूमि की रक्षा को तत्पर संघ कार्यकर्ता

मुजफ्फरपुर में भारत-चीन युद्ध का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सिक्किम सीमा क्षेत्र तेजपुर से पुलिस थाने के सिपाहियों का पलायन हो गया। उस समय सीमा पर सेना के जवानों के आने तक संघ के स्वयंसेवक डटे रहे। नागरिकों को साहस बंधाया, ताकि, लोग वहां से भागे नहीं। स्वयंसेवकों को जब भी जो जिम्मेदारी मिली, पूरी तत्परता से उसका निर्वाह किए।

शाखा को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं

संघ प्रमुख ने कहा कि नौजवानों की यह क्षमता शाखा में जाने के कारण होती है, जहां उन्हें खेलकूद, शारीरिक प्रशिक्षण से लेकर अपनी मातृभूमि के लिए समर्पित होने का संस्कार मिलता है। भारतीय जीवन मूल्यों की समझ होती है। समाज को संस्कारित करने के लिए नियमित रूप से शाखा जाने की जरूरत है।

आचरण से होगा सामाजिक बदलाव

उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता का माहौल सिर्फ बातों से नहीं बल्कि, व्यवहार से पैदा होगा। तमाम नेता चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करते हैं। जनता भी उन दावों की हकीकत समझती है।  चुनाव के समय नेताओं के ऐसे दावे पर जनता की बेबाक टिप्पणी भी सुनने को मिलती है। इसलिए स्वयंसेवकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने आचरण से वो कर दिखाएं जिससे सामाजिक समरसता का वातावरण बने।

संघ परिवार में सभी सम्मानित

भागवत ने कहा कि संघ एक परिवार है, जहां सभी का उनकी योग्यता के अनुसार स्नेह एवं सम्मान है। यह व्यवस्था है कि आज वे मंच पर हैं और नीचे कार्यकर्ता बैठे हैं। भारत माता के लिए सभी बराबर हैं। हां, संघ जैसे विशाल व व्यापक संगठन में कार्य व्यवस्था के तहत पदों पर स्वयंसेवक आसीन हैं। इससे किसी का महत्व कम नहीं होता। स्वागत एवं सम्मान हमेशा दिल से होता है। उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।

अनेकता में एकता हमारी पहचान

भारत देश की विशेषता, विविधता में एकता है। हमारे देश में तमाम बोली व भाषाएं हैं। विविध संस्कृति वाले अपने देश में अनेकता में एकता हमारी पहचान है। इसे बनाए रखने के लिए  देश की एकता व अखंडता जरूरी है। इसके लिए स्वयंंसेवकों को समर्पित भाव से काम करना होगा।

वहीं, राजेंद्र नगर स्थित शाखा मैदान में स्वयंसेवकों के संबोधन में मोहन भागवत ने कहा है कि संघ और संगठन की नहीं, हमें देश की चिंता है। संघ का स्वयंसेवक स्वयं की प्रेरणा से काम करता है। संगठन किसी के भय, प्रतिक्रिया एवं प्रतिरोध में काम नहीं करता। भारत की संस्कृति विविधता में एकता की बात नहीं बल्कि एकता की विविधता की बात करती है।

उन्होंने संघ का कार्य और उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि बाहर के व्यक्ति को लगता है कि संघ का कार्य अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए हो रहा है लेकिन संघ कार्य को ध्यान में रखकर जो विचार करता है उसे इस कार्य का रहस्य समझ में आता है। संपूर्ण विश्व में भारत की जयकार हो और भारत सामथ्र्यवान और परम वैभव से पूर्ण हो, इस निमित्त ही संघ का कार्य है। स्वयंसेवकों के व्यवहार से संघ को लोग जानते हैं। संघ का कार्यकर्ता प्रमाणिक रीति से, समर्पण भाव से कोई कार्य करता है। इसलिए आज संघ से समाज की अपेक्षा बढ़ी है। समाज का कोई ऐसा अंग नहीं जहां स्वयंसेवकों ने कार्य प्रारंभ नहीं किया है और कुछ दशकों में ही वहां प्रभावशाली परिवर्तन खड़ा किया है।

संघ प्रमुख ने दो टूक कहा कि महापुरुषों के प्रयास से देश में स्वतंत्रता आई थी, लेकिन उसका परिणाम क्या निकला? डॉ. हेडगेवार ने आजादी की लड़ाई में भाग लिया था। कार्यक्रमों में भाषण देना, स्वदेशी के निमित्त कार्य करना, पत्रक निकालना यह सब कार्य करके उन्होंने समझ लिया था कि इससे स्थाई स्वतंत्रता नहीं प्राप्त होनेवाली। अंत में उन्होंने संघ की स्थापना की।

संघ का स्वयंसेवक स्वयं की प्रेरणा से नि:स्वार्थ भाव से कार्य करता है। उसके कार्य का उद्देश्य समाज को स्वस्थ करना है। शाखा में आकर साधना भाव से काम करना और दूसरों को इसके लिए प्रेरित करना ही उसका दैनिक कर्तव्य है। इसी से देश को परम वैभव बनाने वाला समाज निर्मित होगा। देश के सामान्य आदमी के उन्नति से ही राष्ट्र की उन्नति संभव है। जब तक किसी देश के सामान्य व्यक्ति की उन्नति नहीं होती तब तक उस राष्ट्र की उन्नति नहीं हो पाती। विश्व का इतिहास भी इस बात की ओर इशारा करता है।

उन्होंने स्वयंसेवकों से घर-घर जाकर राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करने की अपील की। संघ प्रमुख के संबोधन में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, रामकृपाल यादव, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, पथ निर्माण मंत्री नंद किशोद यादव, बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय और अन्य नेता भी मौजूद थे।


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