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मिथिला की नई पहचान, पौधे देकर अतिथि का सम्मान

अब विवि सहित सभी कॉलेजों के किसी भी कार्यक्रम में प्लास्टिक युक्त सामान का उपयोग नहीं किया जाएगा।

By Edited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 11:01 AM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2018 11:03 AM (IST)
मिथिला की नई पहचान, पौधे देकर अतिथि का सम्मान
मिथिला की नई पहचान, पौधे देकर अतिथि का सम्मान
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने एक अच्छी पहल शुरू की है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही समय, श्रम और अर्थ को बचाने के लिए एक साथ यह प्रयास किया गया है। हालांकि, मिथिला में पाग-चादर के साथ अतिथि सम्मान की परंपरा रही है। लेकिन, बदलते समय में इस सम्मान की वस्तु को मंच से इतर उपयोगिता कम या समाप्त हो जाती है। जबकि, मंच पर इस प्रक्रिया को पूरा करने में समय, श्रम के अलावा अर्थ भी व्यय हो जाता है।
 वीसी प्रो.सुरेंद्र कुमार सिंह की पहल पर कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने सभी संबद्ध एवं अंगीभूत कॉलेजों के प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर इस संबंध में कई आवश्यक निर्देश दिए हैं। अब विवि सहित सभी कॉलेजों में किसी भी तरह के कार्यक्रम में प्लास्टिक युक्त बुके, गुलाब का फूल या अन्य फूल, माला, पाग चादर आदि का उपयोग वर्जित होगा। इसके बदले में विशिष्ट अतिथि को गमलायुक्त पौधे भेंट कर फिर उनसे लेकर उसे कैंपस में रोप देना है। इसके साथ ही अब आयोजक वीसी के अतिरिक्त बाहर से आए अतिथि को ही पाग चादर से सम्मानित कर सकेंगे।
 विवि प्रशासन का तर्क है कि इस निर्णय से सभी को लाभ होगा। साथ ही यह सामान मिलने वाले के घर में शोभा की वस्तु बनकर नहीं रहेगी। देखा गया है कि ऐसे सामान का बाद में कुछ कोई व्यवहार नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में विवि प्रशासन ने काफी मंथन कर यह निर्णय लिया है। हालांकि, विवि के इस निर्णय पर लोग सवाल भी कर सकते हैं। कई जगह इस पर चर्चा भी हुई। लेकिन, बौद्धिक समाज अब इसे स्वीकार करने लगा है। अब समारोह आदि में पौधे देकर उसे कैंपस में ही रोपण कर देने की नई परम्परा प्रारंभ हो गई है। इससे मिथिला की अब अलग पहचान बनने लगी है।  वस्तुत: यह एक बौद्धिक निर्णय लगने लगा है। विवि प्रशासन की इस पहल को समाज की स्वीकृति मिलने लगी है।
 लनामिविवि के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने बताया कि यह निर्णय कुलपति के आदेश से लिया गया है। मिथिला की सांस्कृतिक एवं गौरव की पहचान पाग-चादर को व्यवहार करने पर मनाही नहीं की गई है। बस इसे सम्मानित, विशिष्ट व्यक्ति को ही देने को कहा गया है। दीक्षांत समारोह में पाग-चादर प्रतिबंधित नहीं है। यह निर्णय सभी दृष्टि से सही है। समाज इसे सहर्ष स्वीकार करने लगा है।

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