कराहता रहा दोनों पैर कटा युवक, सदर अस्पताल में नहीं हुआ इलाज
मुजफ्फरपुर सोमवार की रात आठ बजे सदर अस्पताल के इमरजेंसी में दोनों पैर कटा युवक कराह रहा था।
मुजफ्फरपुर : सोमवार की रात आठ बजे सदर अस्पताल के इमरजेंसी में दोनों पैर कटा युवक कराह रहा था। जीवन-मौत से जूझ रहे युवक की जान बचाने को साथ आए लोग बेचैनी से इमरजेंसी में चिकित्सक व कंपाउंडर की तलाश कर रहे थे। आधा घंटे तक युवक तड़पता रहा, लेकिन न डॉक्टर मिले और न ही कंपाउंडर। इमरजेंसी में तैनात एकमात्र चपरासी विष्णु ने किसी तरह मरीज को स्लाइन लगा दिया। इसके बाद साथ आए लोग उसे इलाज के लिए एसकेएमसीएच लेकर चले गए। यह हल है सदर अस्पातल के इमरजेंसी वार्ड का। युवक की कराह ने अस्पताल की व्यवस्था की पोल खोल दी।
घायल युवक के साथ आए चंद्र भूषण सिंह ने बताया कि चंद्रलोक गुमटी के पास रेल ट्रैक के किनारे पड़ा वह तड़प रहा था। उसके दोनो पैर कटे थे। इसे लेकर सदर अस्पताल आए। यहां आधा घंटा से डॉक्टर व कंपाउंडर की तलाश कर रहे हैं, लेकिन कोई नहीं मिला। इमरजेंसी में तैनात चपरासी विष्णु ने कहा कि अभी डॉ. एसके गुप्ता की डयूटी है। कहां है पूछने पर वह चुप हो गया। कंपाउंडर के बारे में पूछने पर बताया कि यहां कंपाउंडर नहीं है। ईएमटी यानी एंबुलेंसकर्मी उनका काम करते हैं। युवक की तड़प व विष्णु का बयान ने सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की व्यवस्था का हाल बयां कर रहा था।
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खोजने पर भी इमरजेंसी में नहीं मिले धरती के भगवान
मुजफ्फरपुर : शहर के बीचोबीच स्थित सदर अस्पताल। मरीजों के इलाज को अस्पताल की व्यवस्था पर सरकार का लाखों-करोड़ों खर्च। दर्जनों चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की तैनाती। व्यवस्था की देखरेख को हेल्थ मैनेजर से अधीक्षक तक की सेवा उपलब्ध है। लेकिन, सब बेकार। सच्चाई तो यह है कि खोजने से भी सदर अस्पताल के इमरजेंसी में धरती के भगवान नहीं मिलते हैं। जीवन-मौत से जूझते, दर्द से तड़पते एवं कराहते मरीज यहां आते जरूर हैं, लेकिन वहां चिकित्सक की जगह इलाज को चपरासी व एंबुलेंसकर्मी ही मिलते हैं। दोनों पैर कटे युवक का सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार भी नहीं होना पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर रहा है। हालांकि, हेल्थ मैनेजर प्रवीण कुमार ने दावा किया कि चिकित्सक आए हुए हैं।