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बांध टूटा तो बेघर हो जाएंगे लाखों लोग

मुजफ्फरपुर। मीनापुर प्रखंड गंडक और बागमती से तीन ओर से घिरा है। 14 किलोमीटर लंबे बाध से ही इसकी सुरक

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 10:31 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 10:31 AM (IST)
बांध टूटा तो बेघर हो जाएंगे लाखों लोग
बांध टूटा तो बेघर हो जाएंगे लाखों लोग

मुजफ्फरपुर। मीनापुर प्रखंड गंडक और बागमती से तीन ओर से घिरा है। 14 किलोमीटर लंबे बाध से ही इसकी सुरक्षा है जिसे पिछली बार काफी प्रयास से कई जगहों पर कटाव से बचाया जा सका। पुकार चौक और जामिन मठिया में कटाव का दहशत अब भी कायम है। जामिन मठिया में मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है। वहां का बाध अब भी क्षतिग्रस्त है। हालाकि सीओ ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं क्षतिग्रस्त बाधों की मरम्मत का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। अभी तक प्रखंड स्तरीय अनुश्रवण समिति की बैठक नहीं बुलाई गई है। अगर जामिन मठिया या पुकार चौक या फिर चांद परना में बाध टूटा तो लाखों लोग तबाह हो जाएंगे। रघई हरसेर में अति संवेदनशील बाध है जहां प्रशासन द्वारा कोई निरोधक कार्य नहीं किया गया है।

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गत वर्ष सवा दो लाख की आबादी हुई थी प्रभावित : पिछले वर्ष प्रखंड की 27 पंचायतें प्रभावित हुईं जिससे करीब सवा दो लाख आबादी प्रभावित हुई थी। सीओ ने बताया कि 20 निजी नाव की व्यवस्था की गई है। पांच सरकारी नाव के लिए वरीय अधिकारी को लिखा गया है। साथ ही 27 प्रभावित पंचायतों में लोगों व मवेशियों की शरणस्थली ऊंचे टीले का निर्माण किया गया है। शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था की गई है। अस्पताल को भी अलर्ट किया गया है। क्षेत्र के 377 लोगों को गोताखोर का प्रशिक्षण दिया गया है।

विस्थापितों को नहीं मिली मदद : पिछली बार आई बाढ़ में विस्थापित लोगों के लिए कुछ नहीं करने की शिकायत रघई के मुखिया चंदेश्वर प्रसाद ने की है। उन्होंने डीएम व सीओ को लिखित आवेदन देकर वहा गंडक किनारे बसे लोगों की सुरक्षा का प्रबंध करने की मांग की है।

लापरवाही बरत रहा प्रशासन :

जामिन मठिया निवासी शिवबालक पासवान कहते हैं कि प्रशासन लापरवाही बरत रहा है। अगर बाध की सही तरीके से मरम्मत नहीं की गई तो तबाही निश्चित है। मीनापुर के जीतन सिंह कहते हैं कि गत वर्ष 20 हजार लगाकर धान की खेती की थी। सब नष्ट हो गया। इस बार भी वही स्थिति की आशका है। रघई की निर्मला देवी का कहना है कि गंडक के कटाव में घर बह गया। सब परिवार विस्थापित हो गए। प्रशासन से कुछ नहीं मिला। मोहन भगत कहते हैं कि अगर बाध की मरम्मत नहीं हुई तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। बहुत से किसान पिछली बार के डर से खेती नहीं करने की बात कह रहे हैं। गत वर्ष टूटी सड़कें व पुल-पुलियों की अबतक मरम्मत तक नहीं की जा सकी है।

सीओ ने भेजी डीएम को रिपोर्ट :

अंचल प्रशासन ने बाढ़ पूर्व तैयारी कर रिपोर्ट डीएम मो. सोहैल को भेज दी है। सीओ ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने नौ बिंदुओं पर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है। इसमें वर्षामापक यंत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नाव की स्थिति, तटबंध, बाढ़ से निपटने के लिए ऊंची शरणस्थली, अंचल में उपलब्ध संसाधन, प्रशिक्षण प्राप्त गोताखोर व प्रखंड स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्ष के बारे में जानकारी दी गई है।

अंचलाधिकारी कहते है :

वर्षामापक यंत्र चालू है और आंकड़े प्रेषण हेतु दो कर्मी प्रतिनियुक्त हैं। बाढ़ प्रभावित 27 पंचायतों में अलिनेउरा को आशिक दर्शाया गया है। अंचल में कोई सरकारी नाव उपलब्ध नहीं है। 20 निजी नावों का एकरारनामा हुआ है। अंचल के पाच तटबंध कोदरिया ,गोसाईपुर, गंगबरार पानापुर, बहादुर डुमरिया व पानापुर पूर्णत: निर्मित है। अंचल में पॉलीथीन सीटस, सरकारी नाव, मोटरबोट, लाइफ जैकेट व निजी नाव उपलब्ध नहीं है। अंचल में 377 गोताखोर का प्रशिक्षण दिया गया है तथा नियंत्रण कक्ष स्थापित कर सात कर्मी को प्रतिनियुक्त किया गया है।


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