बच्चों को भीख मांगते देख लिया ये बड़ा फैसला, पीएम नरेंद्र मोदी तक कर चुके सराहना
बिहार के शाहिद निजाम अपने नेक काम से गरीब भीख मांगने वाले बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। सेव चाइल्ड बेगर नामक उनका अभियान बिहार, उत्तर प्रदेश व हरियाणा तक फैल चुका है।
पूर्वी चंपारण [संजय कुमार उपाध्याय]। तीन साल पहले दिल्ली के पालिका बाजार में बच्चों को भीख मांगते देखा तो बिहार के पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल निवासी शाहिद निजाम का मन द्रवित हो उठा। लगा कि शिक्षित कर इनका जीवन सजाया-संवारा जा सकता है। फिर क्या, तीन बच्चों को पढऩे के लिए राजी किया और खुद पढ़ाने लगे। इरादा मजबूत था और विचार नेक। सो, आशातीत सफलता मिलने लगी। उनके इस अभियान की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अप्रैल 2018 को अपने 'मन की बात' में कर चुके हैं।
आज उनका यह 'सेव चाइल्ड बेगर' अभियान बिहार में चार केंद्रों के अलावा उत्तर प्रदेश और हरियाणा तक फैल चुका है। इन केंद्रों पर 3000 अनाथ, भीख मांगने व झुग्गियों में रहने वाले बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
ऐसे आया भीख मांगने वाले बच्चों को पढ़ाने का ख्याल
पकड़ीदयाल निवासी मो. निजामुद्दीन के पुत्र 24 वर्षीय शाहिद निजाम ने 10वीं तक की शिक्षा गांव से ली। इंटर के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने दिल्ली गए। एक निजी कॉलेज से मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान 2015 में दिल्ली के पालिका बाजार गेट के पास बच्चों को भीख मांगते देखा। तब मन में ख्याल आया, क्यों न इन्हें शिक्षित किया जाए।
खुद शुरू किया पढ़ाना, दोस्त भी बन गए साझाीदार
फिर क्या, तीन बच्चों को खुद ही पढ़ाने लगे। चर्चा की तो दोस्तों को भी यह बात पसंद आई। देखते ही देखते कर्नाटक निवासी विवेक मंजूनाथ, छत्तीसगढ़ के कुंदन कास्कर, बिहार के मधेपुरा के ही जय सिंह राजपूत, हाजीपुर के अमृतांश कुंवर, पश्चिमी चंपारण के बेतिया निवासी शाहिल कौशर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर निवासी शुभम सिंह उनके साझीदार बन गए।
'सेव चाइल्ड बेगर' नाम से चल रहा अभियान
निर्णय लिया गया कि श्रमदान से काम होगा। जिसे दान देना होगा वे बच्चों के लिए कॉपी-किताब व अन्य चीजें देंगे। 2016 में संस्था का निबंधन 'सेव चाइल्ड बेगर' नाम से कराया गया।
दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश के नोएडा, हरियाणा के गुडग़ांव व बिहार के हाजीपुर में दो, छपरा में एक के बाद पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल के वार्ड नंबर नौ में 'हैप्पी स्कूल' इन ओपेन स्काई की तर्ज पर 'सेव चाइल्ड बेगर' अभियान चल रहा है। 3000 बच्चों को शिक्षा दी जा रही। 500 से अधिक को स्कूल से जोड़ा जा चुका है।
लीची के बगीचे में चलता स्कूल
पूर्वी चंपारण के नक्सल प्रभावित पकड़ीदयाल के वार्ड संख्या नौ के डुमरबाना में सुबह छह से आठ बजे तक लीची के बगीचे में स्कूल चलता है। करीब 125 बच्चे पढ़ते हैं। चंदा कर कॉपी-कलम की व्यवस्था होती है।
शाहिद यहां जब ईद की छुट्टियों में आए तो लोगों से संपर्क साधा और शिक्षा के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से इटवा निवासी किराना दुकानदार उमेश कुमार, कपड़ा व्यवसायी राजा बाबू, पकड़ीदयाल के ही रविभूषण, उपेंद्र कुमार व डुमरबाना के वाहिद परवेज जुड़ गए। सभी एक-एक दिन पढ़ाते हैं। यहां पढ़ रहे रवि के पिता शैलेंद्र, परवेज के तौहीद, शमा परवीन के नूर हसन और गोलू के पिता प्रेम राय की मानें तो मेडिकल कैंप लगाकर बच्चों को स्वस्थ रहने की जानकारी भी दी जाती है।
ग्रास रूट पर मिल रहा लाभ
पकड़ीदयाल के पुलिस उपाधीक्षक, दिनेश कुमार पांडेय कहते हैं कि शाहिद व उनके दोस्तों ने जो काम शुरू किया, उसका लाभ ग्रास रूट पर मिल रहा है।
गांव जाकर व्यवस्था देखेंगे जिलाधिकारी
इस अभियान की सराहना करते हुए पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी रमण कुमार कहते हैं कि इस प्रकार का कार्य समाज के लिए बेहतर है। इससे वैसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा सकेगा जो पढ़ाई से दूर हैं। वे खुद गांव जाकर वहां की व्यवस्था को देखेंगे।