सेवा भाव से रोगियों को कर रहे निरोग
मुजफ्फरपुर। यदि ज्ञान बीज है, योग जल है और दिव्य गुण उसकी देखभाल है तो सेवा उसका फल है। सेवा में ही
मुजफ्फरपुर। यदि ज्ञान बीज है, योग जल है और दिव्य गुण उसकी देखभाल है तो सेवा उसका फल है। सेवा में ही जीवन की सफलता है। दूसरों का आशीर्वाद लेने का यह सर्वोतम उपाय है और आंतरिक खुशी का एक बहुत बड़ा साधन है। मोतिहारी में पिछले 28 वर्षो से कुछ इसी भाव से वैद्य युगल किशोर मिश्रा लोगों को गंभीर रोगों से निरोग करते आ रहे है। जड़ी-बूटी के माध्यम से उनका इलाज आसपास के क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय है। जड़ी बूटियों की परख उनके पास है। वे स्वयं इसकी खरीदारी कर दवा बना मरीजों को देते हैं। यह काम उनका पुस्तैनी है। उनके पास सुबह से ही मरीजों का आना-जाना शुरू हो जाता है। दारोगा टोला स्थित आवास पर लोगों का वे निश्शुल्क इलाज करते हैं। जड़ी बुटियों की कीमत मरीजों को चुकानी पड़ती है। पूर्वजों से मिली प्रेरणा वैद्य युगल से पूर्व उनके परदादा राजबल्लभ मिश्र, दादा पारस नाथ मिश्र, पिता हिमांचल मिश्र, स्वयं युगल किशोर मिश्र अब पुत्र अनिश कुमार मिश्र लोगों की सेवा में जुटे हैं।वैद्य श्री मिश्र ने अपने दादा व पिता से बहुत कुछ सीखा है। वर्ष 1982 में उन्होंने स्थानी आयुर्वेद महाविद्यालय में नामांकन लिया और वर्ष 1990 में डिग्री लेकर रधुनाथपुर में सहयोगियों के साथ एक निश्चित स्थल से लोगों का इलाज शुरू किया। वे मोतीपुर व तुरकौलिया में शिविर लगा कई रोगियों को निरोग कर चुके हैं। कहते हैं कि जब वे छोटे थे तो लोग इलाज के लिए उनके घर पहुंचे थे। उनके दादा व पिता लोगों का जड़ी-बूटी से दवा निर्मित कर उन्हें देते थे। उनकी उत्सुकता बढ़ी और वे किशोरावस्था से ही इसकी तह में जाने लगे। धीरे-धीरे वे भी इसमें रम गए और दादा व पिता को दवा बनाने में सहयोग करने लगे। अपने पूर्वजों से मिली प्रेरणा से वे भी बीते 28 वर्षों से लोगों की सेवा करते आ रहे है।