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बनाती है पंक्चर, ताकि गरीबी रोक न दे जिंदगी की गाड़ी

वह पंक्चर बनाती है। गाड़ियों में हवा भरती है। सिर्फ इसलिए कि परिवार की गाड़ी चलाने में पिता की मदद कर सके। पढ़ाई कर सके, ताकि अफसर बनने का उसका सपना पूरा हो सके।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 10:32 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 10:32 AM (IST)
बनाती है पंक्चर, ताकि गरीबी रोक न दे जिंदगी की गाड़ी
बनाती है पंक्चर, ताकि गरीबी रोक न दे जिंदगी की गाड़ी

मुजफ्फरपुर। वह पंक्चर बनाती है। गाड़ियों में हवा भरती है। सिर्फ इसलिए कि परिवार की गाड़ी चलाने में पिता की मदद कर सके। पढ़ाई कर सके, ताकि अफसर बनने का उसका सपना पूरा हो सके। गरीबी का दाग धुल सके। उसकी मेहनत पर पिता को गुमान है तो लोग भी तारीफ करने से पीछे नहीं हटते। पिछले चार साल से यह काम कर रही है पश्चिमी चंपारण की चौतरवा की 15 वर्षीय रानी।

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चौतरवा चौक पर विक्रम शर्मा सालों से वे¨ल्डग का काम करते थे। वे पांच बेटियों के पिता हैं। बेटे की चाहत में एक बच्चे को गोद लिया। इसके बाद एक बेटा भी हो गया। इस तरह सात बच्चों के लिए भोजन, कपड़ा और पढ़ाई का खर्च चला पाना मुश्किल साबित हो रहा था। प्रतिदिन आर्थिक तंगी का सामना करते थे। 2014 में दूसरे नंबर की बेटी रानी के कहने पर उसी दुकान में पंक्चर ठीक करने काम भी शुरू किया। शुरू में तो सब ठीक रहा, लेकिन कोई मदद करने वाला नहीं था। किसी को रखते तो उसका वेतन देने पर बचता कुछ नहीं। ऐसे समय में रानी ने पिता से पंक्चर ठीक करने और हवा भरने का काम सिखाने को कहा। पहले तो वे हिचकिचाए, लेकिन बेटी की जिद पर मान गए। कुछ ही दिन में वह इसमें पारंगत हो गई। फिर तो टायर में हवा भरनी हो या फिर पंक्चर ठीक करना, रानी फटाफट कर लेती है। उसने समाज के उस मिथक को तोड़ दिया है कि बेटियां सबकुछ नहीं कर सकतीं। वह स्कूल से लौटने के बाद दुकान पर पहुंच जाती है। फिर जबतक दुकान खुली रहती, पिता का हाथ बंटाती है।

पढ़ाई में भी नहीं पीछे : जिस तेजी से रानी के हाथ पंक्चर बनाने में चलते हैं, उसी तेजी से कलम भी चलाती है। रानी पढ़ाई में भी होशियार है। विपरीत हालात के बावजूद उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी है। इस साल मैट्रिक की परीक्षा 281 अंक पाकर पास की है। रानी का सपना है कि उच्च शिक्षा पाकर अफसर बन समाजसेवा करे। पिता ने भी उसे पढ़ाने का संकल्प लिया है। रानी की बड़ी बहन रेखा का विवाह हो चुका है। छोटी बहनें रेणु, छोटी, सोनी तथा भाई सन्नी व शिवम भी रानी से सीख लेकर मन लगाकर पढ़ते हैं। पिता कहते हैं कि रानी की वजह से आर्थिक तंगी दूर हो गई। बेटियां किसी से कम नहीं, यह समझ में आ गया है।

प्रोत्साहन के साथ मिला सम्मान : आल इंडिया महिला फुटबॉल फेडरेशन की उपाध्यक्ष सह जदयू नेत्री अपर्णा ¨सह उर्फ बहूरानी ने बीते दिनों रानी से मुलाकात की और पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने रानी का आर्थिक सहयोग भी किया। उनका कहना है कि बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे बढ़कर पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं। रानी ने जिस तरह पिता की मदद के लिए सामाजिक बंदिशों को तोड़ा, उससे हम गौरवान्वित हैं। उन्होंने रानी की हर संभव सहायता करने की बात कही।


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