मकर संक्रांति आज, लगाएंगे आस्था की डुबकी, करेंगे दान-पुण्य
मुजफ्फरपुर माघ मास का दूसरा प्रमुख स्नान पर्व मकर संक्राति बुधवार को श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाएगा।
मुजफ्फरपुर : माघ मास का दूसरा प्रमुख स्नान पर्व मकर संक्राति बुधवार को श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र जलाशयों में पुण्य की कामना के साथ आस्था की डुबकी लगाएंगे। इसके बाद तिल, खिचड़ी, अन्न, द्रव्य आदि दान करेंगे। भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। पंडितों के मुताबिक़ इस दिन सूर्य देव धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही खरमास खत्म हो जाएगा। जगदंबा नगर, बैरिया के आचार्य अभिनव पाठक बताते हैं कि मकर संक्राति पर शोभन योग का विशेष संयोग रहेगा। इस अवसर पर सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए लोग दानादि करेंगे। कहते हैं कि इस दिन दान देने से अक्षयफल प्राप्त होता है। स्नान, दान का शुभ मुहूर्त रामदयालु स्थित मा मनोकामना देवी मंदिर के पुजारी पंडित रमेश मिश्र के अनुसार बुधवार को मकर राशि की संक्राति सुबह करीब आठ बजे से होगी। इस दिन स्नान, दान का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। इस दिन शोभन योग, स्थिर योग के साथ गुरु व मंगल स्वराशि में रहेंगे। साथ ही बुधादित्य योग फलदायी रहेगा। चकबासु के राजेश उफऱ् मुन्ना शास्त्री के अनुसार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से धन्य-धान्य में वृद्धि होगी। इस दिन गंगा स्नान से अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। खरमास का समापन सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही 16 दिसंबर 2019 से चले आ रहे खरमास का समापन हो जाएगा। इसी दिन से शादी-विवाह समेत मागलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। तिल का महत्व हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित रवि झा बताते हैं कि मकर संक्राति के दिन सूर्य चालीसा, सूर्य सहस्त्रनाम, आदित्य हृदय स्त्रोत सूर्य मंत्रादि का पाठ करना चाहिए। इस दिन पानी में तिल डालकर नहाना, उबटन लगाना, तिल युक्त जल से पितरों को तर्पण करना, अग्नि में तिल का होम करना, तिल का दान करना व तिल का सेवन करना फलदायी माना गया है। उत्तरायण होंगे सूर्य ज्योतिष शास्त्र में संक्राति का शाब्दिक अर्थ सूर्य या किसी भी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश या संक्त्रमण कहा जाता है। मकर संक्राति भगवान सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का संधिकाल है। उत्तरायण में सूर्य का प्रभाव अधिक होता है और इसे देवताओं का दिन माना जाता है।