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Darbhanga : सुहाग की रक्षा को नवविवाहित महिलाओं की आस्था का पर्व मधुश्रावणी 28 जुलाई से

चौदह दिनों की इस पूजा में नव विवाहिताएं स्वयं फूल लोढ़ने का काम करेंगी। खुद से तोड़े गए फुल से नाग देवता का पूजा करने के दौरान परिवार के विद्वान पंडित की पत्नी पंडिताइन से नाग देवता का कथा सुनेगी।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 03:13 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 03:13 PM (IST)
Darbhanga : सुहाग की रक्षा को नवविवाहित महिलाओं की आस्था का पर्व मधुश्रावणी 28 जुलाई से
दरभंगा में मधुश्रावणी पर्व के ल‍िए फूल तोड़ती महिलाएं। जागरण

दरभंगा, जासं। मिथिलांचल का प्रसिद्ध मधुश्रावणी पर्व बुधवार से नाग देवता की पूजा के साथ शुरू हो जाएगा। मिथिला में कायम परंपरा के तहत बुधवार से लगातार चौदह दिनों तक नवविवाहित महिलाएं अपने-अपने घरों में नाग देवता की पूजा करेंगी। इस दौरान सभी अपने-अपने ससुराल से आए वस्त्र, आभूषण को धारण कर भोजन सामग्री ग्रहण करेंगी। चौदह दिनों की इस पूजा में नव विवाहिताएं स्वयं फूल लोढ़ने का काम करेंगी। खुद से तोड़े गए फुल से नाग देवता का पूजा करने के दौरान परिवार के विद्वान पंडित की पत्नी पंडिताइन से नाग देवता का कथा सुनेगी।

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फूल तोड़ने के दौरान महिलाएं अपने गांव के मंदिर प्रांगण में शाम में एकत्रित होकर फूलडाली में आकर्षक ढंग से फूल को सजाएंगी और फिर वहां से नाग देवता एवं महादेव के गीत गाते हुए अपने अपने घर लौटेंगी। इस क्रम में पूरे दिन उपवास में रहेंगी। शाम को अनुना भात एवं दूध ग्रहण करेंगी।

महिलाओं में त्योहार को लेकर उत्साह

मधुश्रावणी को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। मझौड़ा, नवादा, हाबीभौआर, कंथुडीह ,मकरमपुर, चौगमा , महिनाम ,पोहदी, रामपुर, तरौनी, शिवराम, पौडी, बलनी मोतीपुर, नवानगर, अमैठी,जरिसो, डखराम, लवानी समेत विभिन्न गावों की नव विवाहित महिलाएं सुहाग की रक्षा के इस त्योहार की तैयारी में लगी हैं। महिलाओं ने परंपरा के अनुरूप फूल लोढ़ने का कार्य शुरू कर दिया है। अपने-अपने घरों में पूजा की तैयारी विधिवत तरीके से की जा रही है।

होती है गज, गौरी, गणेश व नाग देवता की पूजा

त्योहार के महत्व व पूजा विधि के बारे में ज्योतिषाचार्य हनुमान प्रसाद मिश्र बताते हैं कि सावन में मधुश्रावणी के अवसर पर नवविवाहित महिलाएं गज, गौरी, गणेश व नाग देवता की पूजा कर हमेशा अपने सुहाग की रक्षा करने का वर ईश्वर से मांगती हैं। नवविवाहिताओं के लिए यह पर्व विशेष शुभदायी है। यह पूजा कृष्णपंचमी से लेकर शुक्ल पंचमी तक नवविवाहित महिलाएं करती हैं। अंतिम दिन टेमी दागने की रस्म पूरी की जाती हैं। मिथिलांचल में इसका पर्व का विशेष महत्व है। लोग बड़े धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं। नव विवाहित जोड़ों में इसको लेकर उत्साह रहता है। कहा जाता है कि विधि पूर्वक पूजा संपन्न कराने के लिए परिवार के लोग भी खासा सक्रिय रहते हैं।


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