मोतिहारी में मां दुर्गा का खुला पट, दर्शन व पूजन को उमड़ने लगी श्रद्धालुओं की भीड़़
हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार माता कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत् की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं ये तीनों नेत्र ब्रह्माण्ड के सदृश गोल हैं।
मोतिहारी, जासं। शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मंगलवार को सभी पूजा स्थलों पर माता दुर्गा का दरबार दर्शन के लिए खुल गया। आज प्रातःकाल से ही नवपत्रिका प्रवेश के साथ पूर्व आवाहित देवताओं के पूजन व मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात् ``या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःʼʼ के उद्घोष के बीच मां दुर्गा का नेत्र (पट) खुला। पट खुलने के बाद वाहन व आयुध पूजन के साथ बटुक भैरव सहित सपरिवार माँ दुर्गा की सविधि पूजा शुरू हो गई। आज सातवें दिन मां देवी दुर्गा के सातवें रूप कालरात्रि की पूजा अर्चना की गई।
महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने बताया कि माता दुर्गा के सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है। नवरात्र पूजन के सातवें दिन इनकी उपासना की जाती है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार माता कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत् की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं, ये तीनों नेत्र ब्रह्माण्ड के सदृश गोल हैं। इनकी नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। माँ कालरात्रि का वाहन गर्दभ है। इनका स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है,परन्तु ये सदैव शुभ फल हीं देने वाली हैं। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं।दानव, दैत्य, राक्षस, भूत-प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासक अग्नि भय, जल भय, रात्रि भय से निर्भय होते हैं। इनकी कृपा से भक्त सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है। इनकी आराधना से भक्तों के समस्त पाप और विघ्नों का नाश हो जाता है। उसे अक्षय पुण्य लोकों की प्राप्ति होती है।