Muzaffarpur Shelter home case : अपने अंदर हुए गुनाहों को लेकर पर सिर झुकाए खड़ी बालिका गृह की निचली मंजिल
Muzaffarpur Shelter home case खिड़कियां खुलती व नजरे मिलते ही हो जातीं बंद। ढहा दी गई बालिका गृह की तीन मंजिलें। सुप्रीम कोर्ट ने कलंक की इमारत को ढहा देने का दिया था आदेश।
मुजफ्फरपुर, [अरुण कुमार झा ] । शहर के साहू रोड के मुख्य मार्ग से सटे गली में स्थित बालिका गृह। ब्रजेश व अन्य 19 दोषियों के गुनाह का मूक गवाह। ऐसा लग रहा था मानों अपने अंदर हुए गुनाह को लेकर सिर झुकाए खड़ा है। कभी यहां रसूखदारों की महंगी गाडिय़ा लगती थी। मंगलवार को साकेत कोर्ट से सजा सुनाए जाने को लेकर इस गली में सन्नाटा सा पसरा है। सामान्य लोगों की थोड़ी बहुत आवाजाही हो रही है। उन सभी की नजर बालिका गृह के अवशेष बचे निचली मंजिल की ओर उठती है और फिर झुक जाती है। कुछ इसी तरह का नजारा बालिका गृह परिसर के आसपास की थी।
खिड़कियां खुलती व नजरे मिलते ही बंद हो जाती
बालिका गृह परिसर के निकट पहुंचते ही आसपास के घरों की खिड़कियां खुलती हैं। कुछ नजरें उससे बाहर झांकती मिलती हैं। उनकी कौतूहल भरी नजरें मिलती भी हैं, लेकिन कुछ पूछा न जाए इसलिए खिड़कियां तुरंत बंद कर दी जाती हैं। हालांकि सभी की उत्सुकता यह जानने को लेकर है कि किसको कितनी सजा मिली। बालिका गृह परिसर से सटे मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर के आवास के दरवाजे पर ताला लटका हुआ है। उसके स्वजन कहां गए किसी को सही-सही पता नहीं।
बालिकाओं की चीख से ढह गईं बालिका गृह की तीन मंजिलें
बालिका गृह की लड़कियों की चीख भले ही लंबे समय तक इसकी दीवारों के अंदर कैद रही। जब मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया तो उसने बालिका गृह की कलंक मंजिलों का जमींदोज करने का आदेश दिया। इस आदेश के आलोक में नगर निगम ने सुनवाई के बाद इसकी तीन मंजिलों को अवैध निर्माण करार देते हुए इसे ढहा दिया। बस निचली मंजिल जिसमें ब्रजेश ठाकुर का पारिवारिक प्रेस है वही बचा रहा।