Move to Jagran APP

ग्राउंड जीरो रिपोर्ट: बाढ़ व बारिश के बीच सड़कों पर सिसक रही जिंदगी

बिहार में बाढ़ के बीच पीडि़तों की जिंदगी सड़कों पर कट रही है। बाढ़ की त्रादसी ने अमीर और गरीब के बीच की खाई पाट दी है। पक्‍के मकानों में रहने वाले लोग तंबू में रहने को विवश हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 18 Aug 2017 04:18 PM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 10:08 PM (IST)
ग्राउंड जीरो रिपोर्ट: बाढ़ व बारिश के बीच सड़कों पर सिसक रही जिंदगी
ग्राउंड जीरो रिपोर्ट: बाढ़ व बारिश के बीच सड़कों पर सिसक रही जिंदगी

पश्चिमी चंपारण [जेएनएन]। नरकटियागंज-बेतिया मुख्य पथ पर  सोफवा नया टोला गांव है। यहां बाढ़ ने अपनी विनाशलीला कुछ इस प्रकार दिखाई है कि राह से गुजरने वालों के पांव अपने आप ठिठक जाते हैं। यहां उम्र की अंतिम दहलीज पर खड़ी ठकुरी देवी कुर्सी पर बैठ अपने सामान को गुनगुनी धूप में सुखाने का प्रयास कर रही हैं।

loksabha election banner

बताती हैं कि घर पक्का है, लेकिन घर में अब भी पानी है। सड़क पर प्लास्टिक तान बच्चों के साथ रह रहे हैं। घर में रखा सारा अनाज बह गया है। रात में खिचड़ी खाए थे, मगर, आज दिन के दो बजे हैं अन्न का एक दाना नसीब नहीं हुआ है। पोता अमरूद लेकर आया था, मगर दांत से कटता नहीं, कैसे खाएंगे...।

दरअसल, सोफवा नया टोला के पास लगे अमरूद के पेड़ बाढ़ पीडि़तों की भूख मिटाने में मददगार साबित हो रहे हैं। तारा देवी, रबिता देवी, सरस्वती देवी अपने बच्चों के रोने पर अमरूद तोड़ खाने को दे देती हैं। बच्चे चाव से अमरूद खा रहे हैं। अपने मायके आई पिपरिया की अनिता देवी बताती हैं कि तीन दिन बीत गए, घर में कुछ नहीं बचा।

आगे बढऩे पर तंबू में सोए नगीना शर्मा बताते हैं कि पइचा (कर्ज) से काम चल रहा है। बगल के गांव से चावल मांग कर लाए तो एक टाइम खाना बना, वो भी अब नहीं। कोई कब तक पइचा देगा... गंगा मइया सब बहा ले गइलीं। बाढ़ की विनाशलीला ने कई को ऐसा दर्द दिया है, जिसकी बानगी अब भी सड़कों पर दिखाई पड़ रही है। आने-जाने वाले लोग झूठा दिलासा देकर आगे बढ़ जाते हैं।

बता दें कि सात अगस्त से शुरू हुई आफत की बारिश और उसके बाद आई बर्बादी की बाढ़ ने कई परिवारों को सड़कों पर उतार दिया है। वे विवश भी हैं और लाचार भी। पक्का मकान है, लेकिन ङ्क्षजदगी सड़कों पर। अमीर हों या गरीब सड़कों पर जिंदगी सिसक रही है..। वहीं, व्यापारी माथे पर हाथ रख छाती को पीटते अपनी बर्बादी की कहानी बयां कर रहे हैं। पीड़ा कहीं खत्म होने का नाम नहीं ले रही।

यह भी पढ़ें: शर्मनाक! बिहार में बाढ़ से मर रहे लोग, पुलिस पानी में फेंक रही शव

मच्छर भी कम नहीं सता रहे
बाढ़ की त्रासदी झेलने वाले लोगों की पीड़ा केवल घर से बाहर होने की ही नहीं। सड़कों पर जीवन बसर कर रहे योगेन्द्र महतो, लालमति देवी बताते हैं कि रात में मोस यानी मच्छर सता रहे हैं और दिन में भूख से चैन खत्म हो गया है। अनाज का एक दाना भी  नहीं है। दाल-भात क्या, अगर सूखा चूड़ा भी मिल जाए तो फांक कर जिंदगी गुजरे।

यह भी पढ़ें: EXCLUSIVE VIDEO: देखते ही देखते महिला संग बह गये दो बच्चे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.