जैविक खेती से खिल उठी दर्जनों की जिंदगी Sheohar News
बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ जैविक खेती से सफलता की राह पर संजय। 40 एकड़ में पशुपालन व बागवानी भी करते दो दर्जन को दिया रोजगार।
शिवहर [देशबंधु शर्मा]। बड़ी कंपनी में नौकरी और ऐशो-आराम की जिंदगी। मगर, दिल को सुकून नहीं। कुछ अलग करने की चाह। इसी सोच के साथ माधोपुर अनंत निवासी संजय सिंह तीन साल पहले नौकरी छोड़ गांव आए। यहां वैज्ञानिक तरीके से जैविक खेती में हाथ आजमाने की शुरुआत की। सफलता के साथ उन्होंने दो दर्जन लोगों को रोजगार दिया है। वे किसानों को खेती के नए गुर भी सिखाते हैं। इससे कई किसानों की जिंदगी में खुशहाली आई है।
जमशेदपुर से बिजनेस मैनेजमेंट करने के बाद संजय सिंह ने दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु जैसे महानगरों में नामी-गिरामी कंपनियों में काम किया। 2016 में शहरी जीवन से ऊबकर पैतृक गांव माधोपुर अनंत आ गए। अपनी जमीन के अलावा आसपास की 40 एकड़ जमीन लीज पर ली और खेती में जुट गए। कुछ किसानों ने हैरत जताते हुए मजाक उड़ाया कि शहरी बाबू क्या खेती कर पाएंगे, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। जैविक खेती की शुरुआत की। दुर्भाग्य रहा कि पहली बार बाढ़ के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन, हार नहीं मानी। अगले मौसम में दोगुने उत्साह से खेती की। फसल अच्छी हुई तो ताना मारने वाले सराहना करने लगे।
सीसीटीवी कैमरे से करते निगरानी
संजय मिश्रित खेती करते हैं। सीजन के अनुसार धान, गेहूं, मक्का, आलू, तिलहन और गन्ने के अलावा तुलसी, मेंथा और अजवाइन की भी खेती करते हैं। इसके अलावा आम, अमरूद, लीची, केला, पपीता, बेल, कटहल के पौधे लगा रखे हैं। मछली पालन के लिए तालाब भी खोदवा रखा है। डेयरी फॉर्म भी चलाते हैं। इसमें 15 जर्सी गाएं हैं। इससे दूध उत्पादन के साथ गोबर से कंपोस्ट खाद बनाते हैं। गोमूत्र संग्रहण संयंत्र भी है। खुद की डेयरी के दूध के अलावा आसपास के गांवों के किसानों से दूध खरीदकर मिल्क एटीएम के जरिए होम डिलीवरी करते हैं। खेत, डेयरी आदि की निगरानी के लिए उन्होंने कई जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं।
खेती की लागत हुई कम
वे किसानों को आधुनिक खेती की जानकारी भी देते हैं। इसके लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनकी सफलता देख बहुत से किसान जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे। अरुण कुमार सिंह, चित्तरंजन राम, सत्येंद्र सिंह, मोहन सहनी, अवधेश सिंह एवं राजकुमार ऐसे ही किसान हैं। घाटे के चलते ये लोग खेती से मुंह मोड़ रहे थे। लेकिन, आज अच्छी उपज ले रहे। इन किसानों का कहना है कि अब महंगे रासायनिक खाद खरीदने की चिंता नहीं रहती। खेती की लागत कम हुई है। फायदा हो रहा।
संजय ने करीब दो दर्जन लोगों को रोजगार भी दिया है। वह कहते हैं, खेती में अपार संभावनाएं हैं। आधुनिक तकनीक से मेहनत के साथ खेती करने की जरूरत है।