स्वयं सहायता समूह की शक्ति से संवर रही जिंदगी
ग्राम विकास परिषद ने स्थापना के तीन दशक के दौरान 76 हजार लोगों को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा।आवश्यक पूंजी बैंक ऋण से महिलाओं को करा रहे उपलब्ध।
मधुबनी, [सुनील कुमार मिश्र]। समूह की शक्ति अपरंपार है। इसके सम्यक इस्तेमाल से गरीबी जैसी समस्या को भी दूर भगाना संभव है। मधुबनी की ग्राम विकास परिषद नामक संस्था ने ऐसा ही कर दिखाया है। स्थापना के तीन दशक के अंदर इस संस्था ने महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया। अब तक 76 हजार महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो चुकी हैं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कई सामाजिक वर्जनाओं को तोडऩा पड़ा। परेशानियों से जूझना पड़ा।
ग्राम विकास परिषद ने स्थापना के कुछ समय बाद ही समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति को समझा। इसके बाद उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति को सुधारने का संकल्प लिया। इसके लिए उन्हें पाग, बांस के सामान, लकड़ी का सांचा, लाह चूड़ी आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। किराना, चाय-नाश्ता, खेलकूद के सामान की दुकान चलाने के बारे में बताया गया। लीज पर खेत लेकर खेती करने के गुर बताए गए।
इन सभी क्षेत्रों में संस्था ने 850 समूहों का गठन किया। जिससे 12,750 परिवार जुड़े। जिसकी सदस्य संख्या 76 हजार है। संस्था ने रोजगार के लिए पूंजी उपलब्ध कराने को सभी 850 समूहों को बैंकों से ङ्क्षलक किया और ऋण उपलब्ध करवाया।
संस्था ने इस काम के लिए जिले के राजनगर, बाबूबरही, बेनीपट्टी,खजौली प्रखंड के 125 गांवों में जागरूकता अभियान भी चलाया। इन्हीं गांवों में एसएचजी का गठन किया। इन विषयों के विशेषज्ञों को संस्था पर बुलाकर प्रशिक्षित किया। समूह से जुड़ी महिलाओं को आपदा न्यूनीकरण का भी प्रशिक्षण दिया। वर्तमान में स्थिति यह है कि सभी 850 ग्रुप ने बैक ऋण वापस कर दिया और वे स्वावलंबी हो चुके हैं।
पाग का स्वरोजगार करने वाली राजनगर करहिया की असाबरी व साबरा खातून ने बताया कि आज हमलोग मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, पूर्णिया, पटना, सुपौल, मधेपुरा में पाग की सप्लाई कर रहे हैं। घर का कामकाज करने के बाद बचे समय में मांग के अनुसार सादा, रंगीन व मधुबनी पेंङ्क्षटग युक्त पाग बनाते हैं।
रांटी ग्राम विकास परिषद के सचिव षष्ठीनाथ झा ने कहा कि 'महिलाओं को स्वरोजगार से जोडऩे में प्रारंभ में काफी मशक्कत करनी पड़ी। कई बार अपमानजनक स्थिति से भी गुजरना पड़ा। फिर भी हमने संस्था के माध्यम से जागरूकता के साथ स्वयं सहायता समूूह से महिलाओं को जोडऩे का काम नहीं छोड़ा। इसका प्रतिफल है कि आज 76 हजार लोग अन्य के लिए भी प्रेरणास्रोत बन गए हैं।Ó