विधान पार्षद का आरोप, नियोजित शिक्षकों के लिए सरकार का निर्णय किसी भी रूप में सही नहीं
नियोजित शिक्षकों के पक्ष में लिए गए सरकार के निर्णय की हर संगठन में हो रही निंदा।विधान परिषद सदस्य ने सरकार के निर्णय को बताया आधा अधूरा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। नियोजित शिक्षकों के पक्ष में लिए गए सरकार के निर्णय की चहुओर निंदा की जा रही है। विधान परिषद सदस्य डॉ. नरेंद्र प्रसाद सिंह ने गुरुवार को विज्ञप्ति जारी कर सरकार के निर्णय को आधा अधूरा बताया है। सेवा शर्त में नियोजित शिक्षकों के लिए ग्रेच्यूटी का कोई प्रावधान नहीं किया गया, जबकि कार्यरत कर्मचारियों के लिए ग्रेच्यूटी की राशि देय होती है। यह राशि अधिकतम 20 लाख तक सेवा अवधि के आधार पर किया जा सकता है। गंभीर बीमारी के इलाज में खर्च के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति का कोई प्रावधान नहीं किया गया। अर्जित अवकाश साल में 11 दिन का प्रावधान किया गया है। सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में 20 फीसद तक वेतन की राशि बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन घटा कर 15 फीसद करने का निर्णय लिया। एक सितंबर से देने का निर्णय लिया है जबकि 2015 में वेतनमान देने का निर्णय लिया था तब से शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ मिलना चाहिए था। शिक्षकों के आकस्मिक मृत्यु होने पर सरकार को दस लाख रुपये मुआवजा देने का प्रावधान करना चाहिए था।
सोशल मीडिया पर चला रहे कैंपेन
इधर टीईटी-एसटीईटी शिक्षक संघ गोपगुट लगातार विरोध करने का निर्णय जारी रखा है। संगठन के जिलाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह एवं जिला मीडिया प्रभारी विवेक कुमार ने ट्विटर पर एनडीए सरकार के खिलाफ चलाया कैंपेन चलाने की जानकारी दी है। शुक्रवार को फेसबुक पर चलेगा सेल्फी विद पोस्टर कैंपेन। यह विरोध 27 अगस्त तक लगातार जारी रहेगा।