BIHAR UNIVERSITY : जानें अगले दो माह में पांच लाख छात्रों की परीक्षा के लिए क्या व्यवस्था होने जा रही Muzaffarpur News
BIHAR UNIVERSITY स्नातक में 18 पीजी में 10 व प्रोफेशनल कोर्स में चार परीक्षा और रिजल्ट पेंडिंग। परीक्षा कार्यक्रमों में बदलाव के लिए छात्रों के सिर ठीकरा फोड़ता विवि।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में अगले दो माह के अंदर स्नातक पार्ट वन व टू समेत अभी चल रही स्नातक थर्ड पार्ट को लेकर तकरीबन पांच लाख छात्र-छात्राओं की परीक्षा बड़ी चुनौती बनी हुई है। परीक्षा संचालन और उसकी तैयारी को लेकर विश्वविद्यालय के कर्मचारी से अधिकारी तक बेचैन हैं। इसमें छात्र-छात्राओं का अड़ंगा परेशानी का कारण बना हुआ है।
दरअसल, फॉर्म भरने की तय तिथि बीतने के बाद भी बड़ी तादाद में छात्र या तो वंचित रह गए हैं या उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं मिल पाई है। लिहाजा, बार-बार फॉर्म भरने की मोहलत देनी पड़ रही है। इससे परीक्षा की तिथि में भी बदलाव करना पड़ रहा है। राजभवन ने चेतावनी दे रखी है कि एकबार तय की जा चुकी परीक्षा तिथि बिना उसकी अनुमति के नहीं बदली जा सकेगी। इसके बावजूद ये हाल देखकर विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली का अंदाजा लग जाता है।
परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि स्नातक प्रथम व द्वितीय खंड -2019 की परीक्षा सामने है। तृतीय खंड की परीक्षा चल रही है। तीनों परीक्षा मिलाकर पांच लाख के लगभग छात्र-छात्राएं इसमें सम्मिलित हो रहे हैं। इतनी संख्या में छात्रों की परीक्षा लेना कोई आसान काम नहीं है। साधन व संसाधन सीमित ही हैं।
कार्यक्रमों में बार-बार करना पड़ा बदलाव
दो दिन पहले ही प्री-लॉ पार्ट वन, टू, थ्री, फोर व फाइव की परीक्षा-2019 तथा एलएलबी पार्ट वन, टू व थ्री-2019 की परीक्षा की तिथि बढ़ानी पड़ी है। एमएड प्रवेश परीक्षा का फॉर्म भरने की तिथि भी 10 नवंबर से बढ़ाकर 17 नवंबर करनी पड़ी है। फॉर्म भरने की तारीख भी पांच से बढ़ाकर 12 नवंबर करनी पड़ी है। इससे पहले स्नातक थर्ड पार्ट-2019 (प्रतिष्ठा/सामान्य) का फॉर्म भरने की तारीख पांच अक्टूबर को खत्म हो गई थी, लेकिन 12 अक्टूबर तक के लिए फिर बढ़ानी पड़ी।
स्नातक पार्ट वन 2018-21 के छात्रों के लिए रजिस्ट्रेशन की मोहलत देनी पड़ी है। फॉर्म भराने व परीक्षा लेने में विलंब तो दूर नामांकन लेने में भी छात्र पिछड़ रहे हैं। स्नातक पार्ट वन सत्र 2019-22 में दाखिले से वंचितों को इसी कारण एक मोहलत देनी पड़ी हैं। नामांकन से वंचितों से पांच अक्टूबर से दोबारा ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए।
राजभवन की सख्ती के बाद भी कार्यक्रमों में बदलाव
राजभवन ने कह रखा है कि परीक्षा की तिथि एकबार निर्धारित होने के बाद किसी भी परिस्थिति में उसकी अनुमति के बिना बदलाव नहीं हो सकेगा। कुलपतियों की बैठक में कुलाधिपति सह राज्यपाल ने आदेशित किया था कि परीक्षाओं तथा परीक्षाफल के प्रकाशन की जो तिथि निर्धारित की जा चुकी है, उसमें किसी भी प्रकार का संशोधन राजभवन की अनुमति के बिना नहीं किया जाए। इसके बावजूद विश्वविद्यालय में परीक्षा कार्यक्रमों में बार-बार बदलाव हो रहा है।
परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार कहते हैं कि छात्र-छात्राएं समय पर ध्यान नहीं देते हैं और परीक्षा करीब आने पर दौड़ लगाते हैं। उनके भविष्य को देखते हुए कार्यक्रमों में परिवर्तन करना पड़ता है। राजभवन को विश्वविद्यालय ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक अभी उसके समक्ष स्नातक में 18, पीजी में 10 व प्रोफेशन कोर्स में चार परीक्षा व रिजल्ट कराने का दायित्व है। फिलहाल, विलंबित सत्र का जो हाल है उसपर अधिकारी बताते हैं कि कोई चार, कोई छह तो कोई एक साल सत्र विलंब है।