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#pollutionkills : जानें कैसे ई-कचरे की वजह से हवा में घुल रहा जहर ले सकता है हमारी जान Muzaffarpur News

,pollutionkills कचरा जलाने से लोगों की सेहत को हो रहा नुकसान शहरवासी इसके नुकसान से अनजान। इनमें होते हैं क्लोरीन एवं ब्रोमीन युक्त पदार्थ विषैली गैसें फोटो एक्टिव पदार्थ।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 09:33 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 09:33 AM (IST)
#pollutionkills : जानें कैसे ई-कचरे की वजह से हवा में घुल रहा जहर ले सकता है हमारी जान Muzaffarpur News
#pollutionkills : जानें कैसे ई-कचरे की वजह से हवा में घुल रहा जहर ले सकता है हमारी जान Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। ई-वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक कचरा शहर की हवा में जहर घोल रहा है। जाने-अनजाने शहरवासी इसके शिकार होकर बीमार हो रहे हैं। निष्पादन की व्यवस्था नहीं होने से सामान्य कचरे के साथ इसे डंप किया जाता है। इनमें क्लोरीन एवं ब्रोमीन युक्त पदार्थ, विषैली गैसें, फोटो एक्टिव पदार्थ होते हैं। जलाने पर ये विषैली गैस उत्सर्जित करते हैं।

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शहर की आबोहवा के लिए ई-कचरा नई समस्या बनकर उभर रही है। ई-वेस्ट को खुले में सामान्य कूड़े के साथ फेंक दिया जाता है। कूड़ा चुनने वाले इसे उठाकर ले जाते हैं और जलाकर इसमें मौजूद धातु निकालते हैं। लेकिन, इससे उत्पन्न खतरा से शहरवासी अनभिज्ञ हैं। अब जरूरत है इस खतरे की ओर ध्यान देने की यानी इलेक्ट्रॉनिक प्रदूषण से बचाव की।

इस प्रकार पहुंचाता है नुकसान

- इलेक्ट्रॉनिक कचरा पर्यावरण में इस तरह जहर घोलता है कि पीने के पानी को विषाक्त बनाने के साथ-साथ बच्चों की सेहत पर बुरा असर डालता है। बच्चों में जन्मजात विकलांगता आ सकती है।

- इससे मछलियों से लेकर वन्य-जीव तक प्रभावित होते हैं। गर्भपात और कैंसर का खतरा भी होता है।

- कंप्यूटर के पाट्र्स में आमतौर पर तांबा, इस्पात, अल्युमिनियम, पीतल और भारी धातुओं जैसे सीसा, कैडमियम व चांदी के अलावा बैटरी, कांच और प्लास्टिक आदि का इस्तेमाल किया जाता है।

- इनसे क्लोरीन एवं ब्रोमीन युक्त पदार्थ, विषैली गैसें, फोटो एक्टिव और जैविक सक्रियता वाले पदार्थ, अम्ल व प्लास्टिक आदि होती है।

- हाल ही में पाया गया कि कंप्यूटर की रिसाइक्लिंग का काम करनेवालों के खून में बहुत ज्यादा मात्रा में खतरनाक रसायन मौजूद रहते हैं।

इस बारे में डॉ. फिरोजुद्दीन फैज ने कहा कि ई-कचरा के निष्पादन की व्यवस्था नहीं होने से ये हवा व पानी दोनों को नुकसान पहुंंचाता है। इसमें खतरनाक तत्व मौजूद रहते हैं जो वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे होने वाले प्रदूषण के प्रभाव में आकर लोग विभिन्न रोगों के शिकार होते हैं।  


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