राज्यपाल को दान में दी गई महेश भगत बनवारी लाल कॉलेज की जमीन बेची
वर्ष 1982 में राज्यपाल को मेयर के पूर्वजों ने दान में दी थी जमीन। अपर समाहर्ता के निर्देश पर कांटी के राजस्व कर्मी की रिपोर्ट से खुला राज।
मुजफ्फरपुर, [प्रेम शंकर मिश्र]। राज्यपाल को दान में दी गई महेश भगत बनवारी लाल कॉलेज की करोड़ों की जमीन की बिक्री व उसकी जमाबंदी किए जाने का मामला सामने आया है। कांटी अंचल के दामोदरपुर मौजा की जो जमीन मेयर सुरेश कुमार के पूर्वजों ने 1982 में दान में दी थी, उसमें से 52 डिसमिल की जमाबंदी दूसरे के नाम से कायम हो गई है। अपर समाहर्ता डॉ. रंगनाथ चौधरी के निर्देश पर की गई जांच के बाद कांटी के राजस्व कर्मचारी ने जो रिपोर्ट दी, उसके अनुसार राज्यपाल को दान में दी गई 52 डिसमिल जमीन की जमाबंदी सुमित्रा देवी के नाम से हो गई है।
यह है मामला
ब्रह्मपुरा निवासी व मेयर सुरेश कुमार के दादा बनवारी लाल भगत व पिता कृष्णमोहन भगत ने राज्यपाल को कई जमीन दान दी। इसका उद्देश्य यहां शैक्षणिक संस्थान स्थापित करना था। चार अलग-अलग दानपत्र से राज्यपाल को दी गई जमीन पर बैरिया में महेश भगत बनवारी लाल कॉलेज की स्थापना की गई। इसमें एक दानपत्र में दामोदरपुर मौजा की खाता संख्या 303 व खेसरा संख्या 501 की 52 डिसमिल जमीन भी शामिल थी।
यह वर्तमान में चल रहे कॉलेज परिसर से अलग है। इसकी जमाबंदी राज्यपाल के नाम से नहीं कराई गई। कांटी सीओ को दी गई रिपोर्ट में राजस्व कर्मचारी ने कहा कि दान में दी गई उक्त जमीन की जमाबंदी राज्यपाल के नाम से नहीं होकर 2006-07 में ही सुमित्रा देवी (पति निर्मल कुमार कुशवाहा) के नाम से हो गई।
यहां यह जांच का विषय है कि यह जमीन किसने बेची? क्योंकि बिना बिक्री जमीन दूसरे परिवार के नाम से नहीं हो सकती। फिलहाल कॉलेज प्रबंधन व मेयर का परिवार इस मामले में कुछ भी बताने से इन्कार कर रहा।
कॉलेज प्रबंधन की बातों में विरोधाभास
इस मामले में कॉलेज के अध्यक्ष कृष्णमोहन भगत ने किसी तरह की जानकारी से अनभिज्ञता जताई। मगर, कॉलेज प्रबंधन ने वर्ष 2009 में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को यह जानकारी दी थी कि 52 डिसमिल जमीन के दाखिल-खारिज न होने से मालगुजारी रसीद नहीं कट रही। जबकि इस जमीन का दाखिल-खारिज सुमित्रा देवी के नाम से हो चुका था।
इतने दिनों तक कॉलेज प्रबंधन का संज्ञान नहीं लिया जाना भी सवाल खड़े कर रहा। क्योंकि कॉलेज को दान दी गई जमीन अगर दूसरे के नाम से जमाबंदी हो गई तो इसकी शिकायत क्यों नहीं की गई? वहीं इतने दिनों तक इसकी पड़ताल क्यों नहीं की? कहीं सारी बातों की जानकारी होने के बाद भी मामले को दबाया तो नहीं जा रहा।
मेयर सुरेश कुमार ने कहा कि 'मेरे पूर्वजों ने जो भी जमीन राज्यपाल के नाम से दान दी, उसे बेचा नहीं गया है। कॉलेज की तीन एकड़ जमीन को चहारदीवारी से घेरा गया है। इसके बाद भी अगर उस जमीन की जमाबंदी दूसरे के नाम से हुई है तो इसकी जांच जरूरी है।'
पूर्व प्राचार्य महेश भगत बनवारी लाल कॉलेज बनवारी ने बताया कि 'कॉलेज के नाम से दो एकड़ 90 डिसमिल जमीन की रसीद कट रही। किसी जमीन की बिक्री व उसकी जमाबंदी की जानकारी नहीं है।Ó
अपर समाहर्ता डॉ. रंगनाथ चौधरी ने कहा कि 'राज्यपाल को दान में दी गई जमीन का दाखिल-खारिज दूसरे के नाम हो गया है तो उसकी जमाबंदी रद होगी। कोर्ट में मामला आने के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू होगी।Ó