लाखों का ऑफर ठुकरा बच्चों को आत्मनिर्भर बना रहा दंपती
कहा जाता है कि अपनी माटी के लोगों को आगे बढ़ाने का हौसला हर किसी में नहीं होता। खुद की सुख सुविधा को दरकिनार कर समाजसेवा के लिए आगे आना अपने आप में बड़ी बात है।
मुजफ्फरपुर। कहा जाता है कि अपनी माटी के लोगों को आगे बढ़ाने का हौसला हर किसी में नहीं होता। खुद की सुख सुविधा को दरकिनार कर समाजसेवा के लिए आगे आना अपने आप में बड़ी बात है। बगहा नगर के वार्ड 10 पुरानी बाजार में रहने वाला एक दंपती लाखों की कमाई को ठुकराकर स्थानीय बच्चों को आत्मरक्षा के गुर सीखा रहा है। मार्शल आर्ट चैंपियन दंपती ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। इसके बाद उन्हें बतौर प्रशिक्षक लाखों रुपये सलाना की नौकरी का ऑफर मिला। लेकिन कृष्णकांत तिवारी एवं उनकी पत्नी मनोरमा ने बच्चों की सुरक्षा को तरजीह दी। वे गांव लौटे और छोटे बच्चों को निश्शुल्क मार्शल आर्ट की ट्रे¨नग दे रहे हैं। उनके द्वारा ट्रेंड किए गए कई युवा आर्मी, एसएसबी और सीआरपीएफ में नौकरी कर रहे हैं। प्रति दिन सुबह रामरेखा नदी तट पर दंपती प्रैक्टिस सेशन चलाते हैं। उनके प्रैक्टिस सेशन में बच्चियों की संख्या अधिक होती है। इन्हें मार्शल आर्ट की कला में पारंगत बनाने के लिए प्रतिदिन अभ्यास कराया जाता है। ताकि वे आपातकाल में खुद की सुरक्षा कर सके। पिछले 16 वर्षो से यह उपक्रम चलता आ रहा है। दंपती को मिले हैं कई मेडल :-
कृष्णकांत तिवारी ने ताइक्वांडो, कुगं फू एवं जुजूत्सू से ब्लैक बेल्ट में फोर डन पाया है। बैंकाक में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। साथ ही एशियन प्रतियोगिता में दो गोल्ड मेडल एवं नेशनल प्रतियोगिताओं में 04 गोल्ड मेडल अपने नाम किये। उनकी पत्नी मनोरमा देवी ताइक्वांडो में फर्स्ट डन ब्लैक बेल्ट चैंपियन हैं। इनको भी नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल मिला। जबकि एशियन में 01 और नेशनल प्रतियोगिता में 02 मेडल प्राप्त हो चुके हैं।
------------------------
छोड़ी लाखों की कमाई :-
कई मेडल अपने नाम करने वाले इस दंपती को राजस्थान एवं बंगलोर में बच्चों को ट्रे¨नग दिलाने के लिए लाखों रुपये महीने का आफर मिला पर सबको छोड़कर क्षेत्र के बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए घर की राह पकड़ी। इसके अलावा खेल कोटे से इन्हें पुलिस की नौकरी मिल रही थी। पर दंपती ने इस तरफ भी ध्यान नहीं दिया। निश्शुल्क देते हैं प्रशिक्षण :-
आत्मरक्षा का गुर सिखाने वाला यह दंपती बच्चों से रुपये नहीं लेता। कमजोर बच्चियों को कराटे एवं ताइक्वांडों सीखाने के लिए ये कपड़े भी अपने तरफ से मुहैया कराते हैं। रामनगर, बगहा, गौनाहा के साथ अन्य कई बच्चों को इन्होने प्रशिक्षित किया है। जो वर्तमान में आर्मी, एसएसबी, बिहार पुलिस के साथ ही सीआरपीएफ में भी अपनी सेवा दे रहें है। इनका कहना है कि इसमें दर्जनों की संख्या में छात्राएं भी है जिनको देखकर दिल को सूकून और खुशी मिलती है। फिलहाल बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से दंपती को स्कूली बच्चों को प्रशिक्षित करने का कांट्रेक्ट मिला है। जो इनके जीविकोपार्जन का जरिया है।