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जानिए कैसे लहठी बनाने वाला संतोष बन गया नशे का सौदागर, छत्तीसगढ़ से हुआ गिरफ्तार Sitamarhi News

छत्तीससगढ़ में संतोष की गिरफ्तारी से स्थानीय पुलिस को मिली राहत। सीतामढ़ी के रास्ते बॉर्डर से बड़ी खेप की हो रही आवाजाही।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 01:54 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 01:54 PM (IST)
जानिए कैसे लहठी बनाने वाला संतोष बन गया नशे का सौदागर, छत्तीसगढ़ से हुआ गिरफ्तार  Sitamarhi News
जानिए कैसे लहठी बनाने वाला संतोष बन गया नशे का सौदागर, छत्तीसगढ़ से हुआ गिरफ्तार Sitamarhi News

सीतामढ़ी, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के रायपुर में चरस की बड़ी खेप के साथ शहर के मेला रोड नयाटोला निवासी संतोष कुमार कहार की गिरफ्तारी से स्थानीय पुलिस को राहत मिली है। एसपी अनिल कुमार ने कहा कि अब उसके आका तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। वहीं, नगर थानाध्यक्ष प्रभात रंजन सक्सेना ने कहा कि वह फरार चल रहा था। पुलिस को उसकी तलाश थी। वह इससे पहले शराब के धंधे में संलिप्त था। शराब के एक धंधेबाज ने पीटा तो चरस की तस्करी करने लगा। लहठी दुकान में मजदूरी छोड़ दी। तंगी के चलते घर में विवाद होता रहता था। 

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गिरफ्तारी की बात पर मां को यकीन नहीं

पुलिस सूत्रों के अनुसार, वार्ड 21 मेला रोड निवासी संतोष रामप्रीत प्रसाद के दो पुत्रों में सबसे बड़ा है। उसका छोटा भाई राहुल घूम-घूमकर मोबाइल रिपेयङ्क्षरग का काम करता है। पिता मेन रोड में खादी भंडार के सामने ठेले पर चाय-नाश्ते की दुकान चलाता है। फूस की झोपड़ी में रहने वाला संतोष चरस तस्करी का धंधा करता है, यह बात सुनकर लोग हैरत में पड़ गए। पांच साल पहले पास के बसबिट्टा इलाके में शादी की। उसे दो बच्चे हैं। उसकी मां ने कहा कि वह बाहर जाने की बात कह कर घर से निकला था। लेकिन, उसकी गिरफ्तारी की बात सुनकर विश्वास नहीं हो रहा है। 

चरस तस्करों का देशभर में नेटवर्क 

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत -नेपाल सीमा क्षेत्र में नशे का कारोबार चुनौती बना है। बीते सालभर में करोड़ों की चरस जब्त की गई। कई तस्कर भी पकड़े गए। फिर भी धंधा चल रहा है। चरस तस्करों का नेटवर्क देशभर में फैला है। माफिया, कॅरियर के जरिये माल की ढुलाई कराते और खुद सामने नहीं आते। संतोष की की गिरफ्तारी भी इसकी तस्दीक करती है। संतोष भी कॅरियर था।

 यहां से माल लेकर पहुंचने पर सप्लाई कहां और किसको करनी है, यह बात बताई जाती। लेकिन, इससे पहले ही पुलिस के जाल में फंस गया। एसपी अनिल कुमार ने कहा कि भारत-नेपाल सीमा तस्करों के लिए अरसे से सुरक्षित रही है। पुलिस व एसएसबी मिलकर नकेल कसती रही है। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तोडऩे पर ही धंधे पर रोक लगेगी। 

सोनबरसा में करोड़ों की चरस के साथ नेपाली तस्कर गिरफ्तार

केस एक : सितंबर, 2019 में एसएसबी जवानों ने भारत-नेपाल सीमा से एक तस्कर को दबोचा। नेपाल से भारतीय सीमा में चरस को खपाने की तैयारी थी। साढ़े दस किलो जब्त चरस की कीमत दो करोड़ दस लाख रुपये बताई गई। सोनबरसा से सटे पिलर संख्या 325/3 के पास से तस्कर को उस वक्त दबोचा जब वह रात के अंधेरे में चरस लेकर भारतीय सीमा में घुस रहा था। गिरफ्तार तस्कर नेपाल के सर्लाही जिले के हरिऔन निवासी जीवन कुमार गोमजन उर्फ अनिल था। पटना से नारकोटिक्स विभाग की टीम सोनबरसा पहुंच कर तस्कर से पूछताछ की। बाद में यह टीम तस्कर और जब्त चरस को लेकर पटना रवाना हो गई।

भारी मात्रा में चरस के साथ मेजरगंज का शख्स पकड़ाया

केस-दो : दिसंबर, 2019 में भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी 20वीं बटालियन की बी कंपनी ने गुप्त सूचना के आधार पर भारी मात्रा में चरस के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार तस्कर की पहचान मेजरगंज के वार्ड नंबर 11 हताटोला निवासी चंदेश्वर तिवारी के पुत्र सुधीर तिवारी के रूप में की गई। उसके पास से 1.480 किग्रा. चरस बरामद हुई। 

मार्च में दो करोड़ की चरस के साथ पकड़े गए दो तस्कर

केस-3 : 14 मार्च, 2019 को बॉर्डर पर दो करोड़ की चरस ओर गांजा के साथ सोनबरसा थाने के रजवाड़ा गांव के दो धंधेबाजों को गिरफ्तार किया गया था।  सोनबरसा में गुप्त सूचना के आधार पर एसएसबी ने लालबंदी व बसतपुर गांव के बीच पीलर संख्या 322 के पास छापेमारी कर रामपुकार साह के पुत्र मिथलेश कुमार व योगेंद्र साह के पुत्र प्रमोद साह को गिरफ्तार किया गया था। बिना नंबर प्लेट की बाइक पर सवार दोनों तस्कर नेपाल से भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहे थे। इसी दौरान दोनों पकड़े गए। 


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