जानिए क्यों जल्दीबाजी में किए गए शोध किसी काम के नहीं होते, इससे कैसे कमजोर हो रही शिक्षा की जड़
गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए शोध निदेशक को अधिक पढऩे की जरूरत।उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा का माहौल कमजोर।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए शोध निदेशक को अधिक पढऩे की जरूरत है। जल्दीबाजी में किए गए शोध किसी काम के नहीं होते। इससे शोध का महत्व घट रहा। शोध में दोहराव भी हो रहा। इसलिए शोध करने वाले, कराने वाले को सतत अध्ययन करने की जरूरत है। इसके साथ आधारभूत संरचना का होना बेहद जरूरी होता है, तब जाकर प्रकाशित जर्नल का समाज और देश के लिए महत्व बढ़ता है। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के पूर्व कुलपति डॉ. प्रो. गिरिश्वर मिश्र ने, गुरुवार को बिहार विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में आयोजित होने वाली शोध प्रविधि कार्यशाला की पूर्व संध्या पर मीडिया को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि अब नौकरी के लिए, डिग्री के लिए लोग शोध कर रहे हैं। अमेरिका जैसे देश में शोध करना काफी मुश्किल होता है। पांच साल लग जाते हैं। पहले उनको टेस्ट से गुजरना पड़ता है। उसके बाद काफी जांच-परख होने के बाद ही वे शोध कर पाते हैं। प्रलोभन के कारण शोधार्थी शोध में मेहनत नहीं कर रहे। उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा का माहौल भी कमजोर हुआ है। इस कार्यशाला में करीब 300 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। रॉयल यूनिवर्सिटी भूटान के डॉ. प्रो. रजनीश रत्न, पटना कॉलेज ऑफ कॉमर्स के डॉ. जयमंगल देव सहित कई प्रज्ञाता मौजूद होंगे। मौके पर विवि के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्रो. रत्नेश्वर मिश्र, डॉ. प्रो. राजीव कुमार, डॉ. रजनीश कुमार, लोजपा विश्वविद्यालय अध्यक्ष गोल्डेन सिंह आदि मौजूद थे।