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जानें तमाम उपायों के बावजूद मुजफ्फरपुर में क्यों नहीं हो पा रहा मेडिकल कचराें का निपटारा

प्रमंडल स्तर पर प्रतिदिन निकलता ढाई से तीन टन मेडिकल कचरा। अस्पतालों के बाहर कहीं भी फेंक दिए जाने से फैलती कई बीमारियां।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 02:48 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 02:48 PM (IST)
जानें तमाम उपायों के बावजूद मुजफ्फरपुर में क्यों नहीं हो पा रहा मेडिकल कचराें का निपटारा
जानें तमाम उपायों के बावजूद मुजफ्फरपुर में क्यों नहीं हो पा रहा मेडिकल कचराें का निपटारा

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शहर से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक चलने वाले सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में मेडिकल कचरा डिस्पोजल सही तरीके से नहीं होता है। मेडिकल कचरा अस्पतालों के बाहर कहीं भी फेंक दिया जाता है जिससे कई बीमारियों के होने के साथ जान पर खतरा रहता है।

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प्रतिदिन निकलता ढाई से तीन टन मेडिकल कचरा

जानकारी के अनुसार प्रमंडल स्तर पर प्रतिदिन करीब ढाई से तीन टन मेडिकल कचरा निकलता है। इसको बेला औद्योगिक क्षेत्र स्थित इंसीनेटर में जलाया जाता है। इससे सरकारी व गैर सरकारी दोनों तरह के संस्थान जुड़े हैं। मेडिकल कचरा का निष्पादन मुजफ्फरपुर में मेडिकेयर इंवायरमेंटल मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कर रहा है। यह संस्था स्वास्थ्य समिति से संबद्ध है। इस संस्थान के यूनिट हेड राजीव कुमार व समन्वयक विजय उपाध्याय ने बताया कि जैविक कचरे के प्रबंधन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। दुख की बात है कि निबंधन वाले संस्थानों से प्लास्टिक बेस कचरे की मात्रा कम मिल रही है।

इस प्लांट क्षेत्र में 15 जिले

मुजफ्फरपुर स्थित प्लांट से 15 जिले जुड़े हुए हैं। इनमें मुजफ्फरपुर सहित सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सारण, सीवान, गोपालगंज, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा व सुपौल शामिल हैं।

तिरहुत प्रमंडल स्तर पर उठाव

नाम -अस्पताल संख्या-- वजन

पश्चिम चंपारण--100---300 किलो

पूर्वी चंपारण---250--700 किलो

मुजफ्फरपुर-- 324---1200 किलो

सीतामढ़ी-----150----250 किलो

शिवहर----17------50 किलो

वैशाली----250-----600 किलो

मेडिकल कचरा बीमारियों का वाहक

श्री हॉस्पीटल के संचालक डॉ.एके दास ने कहा कि मेडिकल कचरा का सही तरह से निपटारा नहीं होने से कई तरह की बीमारियां होती हैं। सिरिंज के दुबारा इस्तेमाल से गंभीर बीमारी हो सकती है। सदर अस्पताल के मेडिसीन विशेषज्ञ डॉ. एसके पांडेय ने कहा कि मरीज के शरीर से ऑपरेशन के समय मवाद, रक्त , बलगम निकलता है। इससे बैक्टिरियल बीमारी होती है। पेट संबंधी बीमारी हो सकती है। दूषित सिरिंज से हेपटाइटिस बी, एचआइवी हो सकता है। इसलिए इसका डिस्पोजल सही तरीके से होना चाहिए

निबंधन कराना अनिवार्य

कोई अस्पताल, नर्सिग होम अपने परिसर में किसी भी रूप में जीव चिकित्सा अपशिष्ट का जनन, संग्रहण, ग्रहण, भंडारण बिना निबंधन के नहीं कर सकता है। बायोमेडिकल कचरा निबंधन कराना जरूरी है। प्रदूषण नियंत्रण परिषद निबंधन के लिए शुल्क नहीं लिया जा रहा। ऑन लाइन प्रक्रिया के लिए जो जरूरी कागजात हैं, उन्हें उपलब्ध कराना है।

इन जगहों से निकलता कचरा

बायोमेडिकल कचरा मुख्य रूप से सरकारी और प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से निकलते हैं। इसके साथ ही यह विभिन्न मेडिकल कॉलेज, रिसर्च सेंटर, पराचिकित्सक सेवाएं, ब्लड बैंक, मुर्दाघर, शव-परीक्षा केंद्र, पशु चिकित्सा कॉलेज, पशु रिसर्च सेंटर, स्वास्थ्य संबंधी उत्पादन केंद्र, सामान्य चिकित्सक, दंत चिकित्सा क्लिनिकों, पशु घरों, कसाईघरों, रक्तदान शिविरों, एक्यूपंक्चर विशेषज्ञों, मनोरोग क्लिनिकों, अंत्येष्टि सेवाओं, टीकाकरण केंद्र्र से बायोमेडिकल कचरा निकलता है। सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि जब ये बायोमेडिकल कचरा कबाडिय़ों के हाथ लगता है तो वह खतरनाक हो जाता है।

सजा का प्रावधान

कानून विशेषज्ञ अपर लोक अभियोजक डॉ. संगीता शाही ने बताया कि बायोमेडिकल वेस्ट नियम के अनुसार, जैविक कचरे को खुले में डालने पर अस्पतालों के खिलाफ जुर्माने व सजा का भी प्रावधान है। कूड़ा निस्तारण के उपाय नहीं करने पर पांच साल की सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके बाद भी यदि जरूरी उपाय नहीं किए जाते हैं तो प्रतिदिन पांच हजार का जुर्माना भी वसूला जा सकता है।

मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने कहा कि जैविक कचरे का प्रबंधन जरूरी है। इसके लिए प्रदूषण विभाग की ओर से अभियान चलाया जाता है। जैविक कचरा को इधर-उधर फेंकने की जानकारी मिलने पर प्रदूषण विभाग को बताएं। बायोमेडिकल कचरा का सही तरीके से निष्पादन नहीं हो तो कई बीमारियों का खतरा रहता है।

इन बातों का रखें ध्यान

- बायोमेडिकल कचरे के उचित निपटारा एवं प्रबंधन सामूहिक जवाबदेही है। इसे इधर-उधर नहीं फेंकें।

- कचरे को बंद वाहनों में ले जाना चाहिए। खुले वाहन में न ले जाएं।

- मिश्रित कचरे को अलग करके निर्धारित प्रक्रिया के तहत उसका निस्तारण करना चाहिए।

- कचरे को जलाकर नष्ट करने के बजाय उसकी रीसाइकलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।

- बायोमेडिकल और इंडस्ट्रियल कचरे को शहरी कचरे में नहीं मिलाना चाहिए।

- अस्पतालों व क्लिनिकों में जगह-जगह कचरा पात्र रखे होने चाहिए, जहां से कचरा नियमित रूप से उठाने की व्यवस्था भी हो।

- ठोस कचरा प्रबंधन की जानकारी के लिए जागरूकता अभियान आयोजित होते रहना चाहिए।

- अस्पतालों को भी बायोमेडिकल कचरा निपटारे के नियमों का पूरी तरह पालन हो, सरकार यह सुनिश्चित करे।


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