BRA Bihar University : जानिए, विवि के वे कौन से आठ होम्योपैथिक कॉलेज हैं जिन्हें बीएचएमएस के लिए नहीं मिली मान्यता
BRA Bihar University आयुष मंत्रालय की ओर से इन कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2019-20 में पढ़ाई के लिए पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। आधारभूत संरचनाओं के अभाव और अन्य कमियों के कारण बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के तहत आने वाले आठ होम्योपैथिक कॉलेजों को बीएचएमएस के लिए मान्यता नहीं दी गई है। आयुष मंत्रालय की ओर से इन कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए रोक लगा दी गई है। साथ ही इसकी जानकारी मंत्रालय की ओर से कॉलेजों को भी दे दी गई है। साथ ही वेबसाइट पर भी इसे उपलब्ध कराया जा रहा है।
नामांकन पर रोक लगाई
बता दें कि सूबे के इन आठ कॉलेजों में करीब 800 सीटें हैं। जानकारी के अनुसार, मंत्रालय की ओर से देश भर के 44 होम्योपैथ कॉलेजों में नामांकन पर रोक लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि इन कॉलेजों में निरीक्षण में इंडोर,आउटडोर में मरीजों की संख्या में कमी व पर्याप्त टीङ्क्षचग फैकल्टी आदि की कमी है। साथ ही अब कॉलेजों में उपलब्ध आधारभूत संरचना समेत अन्य ङ्क्षबदुओं पर निरीक्षण करने के बाद ही मान्यता दी जाएगी। ऐसे में अन्य कॉलेजों में भी हलचल तेज हो गई है। साथ ही मान्यता रद होने के खतरा की आशंका होते ही अन्य कॉलेज प्रबंधन भी आधारभूत संरचनाओं को दुरूस्त करने में जुट गया है।
स्नातकोत्तर में कई विषयों में होगी सीटों की वृद्धि
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में नए सत्र में स्नातकोत्तर के कई विषयों में सीटों की संख्या बढ़ाई जाएगी। विवि प्रशासन इसको लेकर विचार कर रहा है। कहा गया है कि पीजी में नामांकन के लिए विद्याॢथयों ने कई विषयों में निर्धारित सीट से पांच से दस गुणा अधिक ऑनलाइन आवेदन दिया है। विद्याॢथयों की रूचि और हित को देखते हुए विवि की ओर से इस दिशा में पहल की गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि 20 फीसदी तक सीटों में बढ़ोतरी की जा सकती है।
15 अप्रैल तक समय बढ़ाया गया
बता दें कि पीजी में ऑनलाइन आवेदन के लिए 15 अप्रैल तक समय बढ़ाया गया है। अब तक 13 हजार से अधिक छात्रों के आवेदन आ चुके हैं। इसमें इतिहास, कॉमर्स, फिजिक्स, जूलॉजी, होम साइंस, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, भूगोल विषय है। इन विषयों में छात्रों ने भारी संख्या में आवेदन किया है। बता दें कि दो महीना पहले विवि में तय हुआ था कि छात्रों का आवेदन अधिक संख्या में आता है तो 20 फीसद तक सीटों में बढ़ोतरी की जा सकती है। इसके लिए विभागाध्यक्ष या कॉलेजों के प्राचार्यों की ओर से अनुशंसा की जानी चाहिए। इस वक्त पीजी में करीब 5300 सीटें हैं।