जानिए ज्ञान की रोशनी फैलाने के लिए इन्होंने क्या ऐसा किया कि सब कर रहे उनकी प्रशंसा
बीररख पंचायत के मुखिया ने स्कूल के लिए अपनी बेशकीमती जमीन सरकार के नाम रजिस्ट्री की। गांव में नहीं था स्कूल आज आठ सौ से अधिक बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे।
सीतामढ़ी,[नीरज]। महादलित और अल्पसंख्यक बहुल गांव में बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं था। पढ़ाई के लिए दूर जाना पड़ता था। कई बच्चे शिक्षा से वंचित थे। इस समस्या को दिल से महसूस किया सुरसंड प्रखंड के बीररख गांव निवासी वीरेंद्र महतो ने। उन्होंने अपनी 20 डिसमिल जमीन सरकार को दान देकर दो स्कूल खुलवाए। इनकी वजह से आज नौनिहाल शिक्षा की लौ से प्रकाशवान हो रहे हैं।
45 वर्षीय वीरेंद्र किसान हैं। ये गांव के सामाजिक आयोजनों में बढ़-चढ़ कर शिरकत करते रहे हैं। यहीं वजह है कि लोगों ने उन्हें पहली बार साल 2012 में मुखिया चुना। बेहतर काम किया तो ग्रामीणों ने दोबारा मुखिया बना दिया। वीरेंद्र बताते हैं कि गरीबी मिटाने का सबसे बड़ा हथियार शिक्षा है। इसलिए मुखिया बनते ही उन्होंने पूरा ध्यान शिक्षा पर दिया।
गांव में स्कूल नहीं था। सरकार ने स्कूल की स्वीकृति दी, लेकिन भूमि नहीं मिली। तब, वीरेंद्र ने बीररख महादलित बस्ती में स्कूल के लिए 9.5 डिसमिल जमीन जून 2017 में राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री कर दी। पुन: अगले ही माह मुस्लिम टोल बीररख में प्राथमिक विद्यालय उर्दू के लिए 10.5 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री राज्यपाल के नाम कर दी। इस स्कूल में साढ़े चार सौ, जबकि महादलित बस्ती प्राथमिक विद्यालय में 419 बच्चों का नामांकन है।
ग्रामीण मुकेश राय और नवीन कुमार का मानना हैं कि वीरेंद्र महतो ने नजीर पेश की है। वहीं, सुरसंड बीईओ शीला कुमारी का कहना हैं कि मुखिया ने समाज को बड़ा संदेश दिया है। बीडीओ युनूस सलीम भी इस पहल की सराहना करते हैं।