जानिए Bihar University में गैर संवैधानिक नियुक्ति का पर्दाफाश होने पर कुलपति ने क्या कदम उठाए Muzaffarpur News
Bihar University नियम को ताक पर रख हुईं थीं नियुक्तियां जांच में पर्दाफाश। सभी पदाधिकारियों से एक-एक कर कुलपति ने की बातचीत।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में वर्ष 2018-19 में गैर संवैधानिक नियुक्ति की जांच रिपोर्ट आने के बाद अब सबसे इस्तीफा मांगा गया है। प्रभारी कुलपति ने अपने आवासीय कार्यालय में जांच के दायरे में आने वाले पदाधिकारियों से एक-एक कर मुलाकात की। नियुक्ति के संबंध में जानकारी ली। उन्हें खुद अपने विवेक के आधार पर पद से हट जाने के संकेत दिए। बातचीत में एक तरह से चेतावनी भी दी गई कि अगर इस्तीफा नहीं हुआ तो फिर सख्ती होगी। कुलपति की सख्ती के बाद परिसर में हडकंप मचा हुआ है।
राजभवन तक पहुंचा है मामला
सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू सहित कई जनप्रतिनिधियों ने राजभवन को पत्र देकर शिकायत की है कि 2018 से 2019 के बीच कई महत्वपूर्ण पदों पर नियम के विपरीत नियुक्तियां हुईं हैं। उपकुलसचिव द्वितीय, विकास पदाधिकारी, उप परीक्षा नियंत्रक, विधि पदाधिकारी, पेंशन पदाधिकारी एवं अन्य महत्वपूर्ण पद पर राजभवन के अनुमोदन के बिना ही नियुक्ति हो गई है।
राजभवन ने इस संबंध में कुलपति से शिकायत की जांच व उसपर हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी। कुलपति ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक जांच टीम बनाई। टीम के अध्यक्ष डॉ. सैयद आले मुज्तबा, सचिव उप कुलसचिव उमाशंकर दास, सदस्य सीसीडीसी अमिता सिंंह, कॉलेज निरीक्षक कला एवं वाणिज्य डॉ.प्रमोद कुमार, पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ.कौशल किशोर चौधरी ने पूरे मामले की जांच की।ं पाया कि नियम को ताक पर रखकर बिना राजभवन की अनुमति के कुलसचिव के स्तर से रिपोर्ट तैयार कर नियुक्ति कर दी गई है।
जांच कमेटी ने की कार्रवाई की अनुशंसा
जांच टीम ने कहा है कि नियुक्ति बिना राजभवन की अनुमति के हुई है। इसलिए कुलपति को यह अधिकार है कि वह तुरंत सबको कार्यमुक्त कर दें। जांच के दायरे में आए शिक्षकों को विरमित करते हुए उनके संबंधित महाविद्यालय में मूल पद पर वापस कर दिया जाए। बिना पद के विधि पदाधिकारी की नियुक्ति की गई है। उनका मूल पद भी स्वीकृत नहीं है। इसकी अलग से जांच कराई जाए। आगे इन पदों पर विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार अविलंब नियुक्ति की जाए ताकि विश्वविद्यालय का काम सामान्य गति से चलता रहे।
मापदंड जो नहीं हुआ पूरा
जानकारों की मानें तो विश्वविद्यालय परिनियम कहता है कि सहायक प्राध्यापक के पद बहाली के बाद कार्य करने का कम से कम सात साल का अनुभव होगा, वहीं व्यक्ति पदाधिकारी हो सकते हैं। विश्वविद्यालय पैनल पर राजभवन से अनुमोदन के बाद ही वह पदाधिकारी की नियुक्ति होगी। विश्वविद्यालय में नियम के तय मापदंड को पूरा नहीं किया गया है।इस बारे में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ.आरके मंडल ने कहा कि नियम के विरुद्ध बहाली की शिकायत के लिए गठित जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई शुरू है।