Bihar Assembly Elections 2020: सीट के समीकरण में टिकट का टिकटिक, जानिए समस्तीपुर के रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र की स्थिति
सिंघिया से चार बार विधायक रहे डॉ. अशोक कुमार परिसीमन के बाद रोसड़ा को बनाया कर्मक्षेत्र। समस्तीपुर लोस क्षेत्र से भी आजमा चुके किस्मत नहीं मिली सफलता।
रोसड़ा (समस्तीपुर) [शंभुनाथ चौधरी]। बिहार की सियासत में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के हावी और सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस का अवसान शुरू हो गया था। सीटों का ग्राफ गिरने लगा था। कुछ ने पार्टी निष्ठा से ज्यादा राजनीति को तवज्जो दी और पाला बदल लिया। कांग्रेस के सामने बिहार में एकदम विषम परिस्थिति थी। इस दौर में डॉ. अशोक कुमार ने पार्टी का दामन थामे रखा। वर्ष 1990 में उन्होंने पहली बार सिंघिया विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की। चार बार इस सीट से जीते। वर्ष 2002 के परिसीमन के बाद सिंघिया विधानसभा क्षेत्र समाप्त हो गया। इसके बाद उन्होंने रोसड़ा को अपना कर्मक्षेत्र बना लिया। हालांकि, लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने उन्हें समस्तीपुर संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया। विधायक रहते हुए चुनाव भी लड़े। लेकिन, यहां एनडीए के रामचंद्र पासवान के सामने टिक नहीं पाए।
2010 में मंजू हजारी ने दी थी पटकनी
वर्ष 2010 में इस सीट पर उनका मुकाबला रामसेवक हजारी की पुत्रवधू भाजपा की मंजू हजारी से हुआ। मंजू ने 57,930 वोट के साथ जीत दर्ज की। राजद के पितांबर पासवान 45,811 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। डॉ. अशोक तीसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2015 में बिहार की चुनावी तस्वीर बदल गई थी। राजद, कांग्रेस और जदयू एक मंच पर थे। महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में गई। इस बार डॉ. अशोक को महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार बनाया गया। एनडीए की ओर से भाजपा की मंजू हजारी थीं। परिणाम महागठबंधन के पक्ष में रहा और डॉ. अशोक 85,506 वोट के साथ जीते।
लोस चुनाव में पिता-पुत्र से खा चुके मात
कांग्रेस के टिकट पर पांच बार विधानसभा जा चुके डॉ. अशोक समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र से भी तीन बार किस्मत आजमा चुके हैं। वर्ष 2014 और 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी के रामचंद्र पासवान ने उन्हें परास्त कर दिया। 21 जुलाई, 2019 को उनका निधन हो गया। उसी साल अक्टूबर में उपचुनाव कराया गया। रामचंद्र पासवान के छोटे पुत्र प्रिंस राज को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने डॉ. अशोक को ही उम्मीदवार बनाया। लेकिन, इस बार भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी।
...तो प्रिंस के बड़े भाई से हो सकती टक्कर
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो रोसड़ा विधानसभा सीट पर लोजपा की नजर है। वह यहां से रामचंद्र पासवान के बड़े बेटे और सांसद प्रिंस राज के भाई कृष्ण राज को उम्मीदवार बनाना चाहती है। दूसरी ओर, महागठबंधन से यह सीट फिर कांग्रेस के ही पाले में जाने की गुंजाइश बनती दिख रही। ऐसे में डॉ. अशोक फिर उम्मीदवार हो सकते हैं। अगर, एनडीए में लोजपा के पक्ष में सीट का समीकरण बना तो टक्कर दिलचस्प होगी। हालांकि, चर्चा यह भी है कि डॉ. अशोक इस बार रोसड़ा से अपने पुत्र अतिरेक कुमार को चुनाव लड़ाना चाहते हैं, जबकि उनकी नजर कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर है।