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बिहार: नाम सुन कांप जातीं थीं लड़कियां, ऐसी रही है ब्रजेश ठाकुर की पूरी कहानी

बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन हिंसा कांड ने देश को हिला दिया है। इसके मुख्‍य आरोपित ब्रजेश ठाकुर की लाइफ के बारे में जानिए इस खबर में। जानिए वह कैसे बना हाई-प्रोफाइल आदमी।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 11:10 AM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 12:13 AM (IST)
बिहार: नाम सुन कांप जातीं थीं लड़कियां, ऐसी रही है ब्रजेश ठाकुर की पूरी कहानी
बिहार: नाम सुन कांप जातीं थीं लड़कियां, ऐसी रही है ब्रजेश ठाकुर की पूरी कहानी

मुजफ्फरपुर [बाबुल दीप]। मुजफ्फरपुर के बालिका गृह कांड का मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर, कभी अर्श पर था और आज जेल में है। उसके शौक और रूह कंपा देने वाली हैवानियत के नए-नए किस्से रोज सामने आ रहे हैं। प्रशासनिक खामियों का लाभ उठाकर वह कुछ साल में ही अकूत संपत्ति का मालिक बन बैठा। सत्ता के इर्द-इर्द उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि उसने जो चाहा, वही होता गया।

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विदित हो कि ब्रजेश ठाकुर इन दिनों चर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन हिंसा कांड का सूत्रधार है। इस बालिका गृह की 34 लड़कियों से सालों दुष्‍कर्म की पुष्टि हो चुकी है। इसकी पोल खुली तो पूरे देश में हड़कम्‍प मच गया। संसद व विधानसभा तक में चर्चा हुई और संबंधित विभागीय मंत्री मंजू वर्मा को इस्‍तीफा तक देना पड़ा। ब्रजेश फिलहाल जेल में है और कांड की जांच सीबीआइ कर रही है।

गंदे धंधे में मिला रसूखदारों का संरक्षण

ब्रजेश को अपने गंदे धंधे में रसूखदार लोगों का संरक्षण मिलता रहा। अकूत संपत्ति उसने यूं ही नहीं कमाई, इसके लिए उसने मासूमों पर जुल्म भी ढाये। इस काम में उसे किन लोगों का संरक्षण मिला, इसकी जांच चल रही है।

पैसा, पावर और सफलता

पैसे और पावर के जरिए मुजफ्फरपुर जैसे छोटे से शहर से देशभर में सुर्खियों में आने वाले ब्रजेश ठाकुर को संपत्ति व रुतबा पिता से मिला था। ब्रजेश ने इसे और बढ़ाने का काम किया। उसके पिता राधामोहन ठाकुर ने 1982 में हिंदी अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। उनके नाम पर अकेले 22 अखबार रजिस्टर्ड थे। इसके जरिए रियायती दाम पर अखबार छापने के लिए मिले कागज को बाजार में बेचना, साथ ही नेताओं व अधिकारियों से सांठगांठ कर सरकारी विज्ञापन हासिल करना उनका काम था। उन्होंने रियल एस्टेट में भी काफी पैसा लगाया था।

पिता की मौत के बाद ब्रजेश ठाकुर ने यह काम संभाला। उसने इसे काफी आगे बढ़ाया। जो अखबार कहीं दिखाई नहीं देता, उसका सर्कुलेशन बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अनुसार 60 हजार से ऊपर बताया गया। उसे हर साल लाखों के सरकारी विज्ञापन भी मिलते थे।

ब्रजेश मान्यता प्राप्त पत्रकार था। इसके जरिए उसने बड़े-बड़े अधिकारियों और नेताओं तक पैठ बनाने का काम किया। उसके पुत्र के जन्मदिन पर प्रदेश के बड़े राजनेताओं के आने की चर्चा जोर-शोर से रही। वह घूम-घूमकर सरकारी दफ्तरों में अपना दबदबा बनाता और सरकारी विज्ञापनों की भरमार लगाता गया। उसने 2012 में अंग्रेजी अखबार शुरू किया। फिर 2013 में उर्दू अखबार।

साल 1987 में ब्रजेश ने अपना ध्यान एनजीओ में लगाया। उसी साल 'सेवा संकल्प एवं विकास समिति' नाम से एनजीओ की स्थापना की। 2013 में इसी एनजीओ को बालिका गृहों के रखरखाव की जिम्मेदारी मिली थी। उसने अपने और परिवार के सदस्यों के नाम पर कुल 11 एनजीओ रजिस्टर्ड करा लिए।

राजनीति में आजमाई किस्मत

ब्रजेश राजनीति में भी किस्मत आजमा चुका है। आनंद मोहन की बिहार पीपल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कुढऩी विधानसभा सीट से 1995 में चुनाव लड़ा। सामने थे लालू यादव की पार्टी राजद के दिग्गज नेता बसावन भगत। उस समय के बाहुबली अशोक सम्राट भी चुनावी मैदान में उतर गए। कहा जाता है कि अशोक ने ब्रजेश को चुनाव नहीं लडऩे की धमकी दी। लेकिन, नाम वापस लेने का समय निकल जाने के कारण चुनाव लडऩा पड़ा। जीत बसावन भगत की हुई।

2001 में ब्रजेश ने जिला परिषद के लिए पर्चा भरा। उसका सीधा मुकाबला नवरुणा हत्याकांड में आरोपित शाह आलम शब्बू से था। इस बार भी ब्रजेश को हार मिली। ब्रजेश अब बेटे को राजनीति में लाने में लगा था। 2016 में उसने बेटे राहुल को कुढऩी से जिला परिषद के चुनाव में उतारा, लेकिन हार ही मिली।

मधु का मिला साथ, रेड लाइट एरिया तक पकड़

आनंद मोहन को गोपालगंज के डीएम की हत्या में उम्रकैद की सजा हुई तो ब्रजेश उनसे मिलने लगातार जेल जाता रहा। ब्रजेश ठाकुर को यहां तक लाने में उसकी सहयोगी मधु कुमारी का भी साथ रहा है। वह ब्रजेश के एनजीओ के चार प्रोमोटरों में से एक है। मुजफ्फरपुर के रेडलाइट एरिया चतुर्भुज स्थान तक उसकी पकड़ थी।

यह तरह सामने आया मामला 

बालिका गृह में लड़कियों के यौन उत्पीडऩ का पर्दाफाश टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (मुंबई) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट ने की थी। रिपोर्ट पर चार माह बाद बाल संरक्षण इकाई के तत्कालीन सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा ने 31 मई को महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस सि‍लसिले में मुख्य आरोपित  ब्रजेश ठाकुर सहित 10 को गिरफ्तार किया गया है। सरकार ने 26 जुलाई को इसकी जांच सीबीआइ को सौंप दी। अभी तक बालिका गृह की  44 लड़कियों में से 34 से यौन उत्पीडऩ की पुष्टि हुई है। कुछ की हत्या की भी बात कही जा रही है। 


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