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जानिए कैसे माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाया

करीब दो सौ वर्ष पहले अंग्रेजों के समय में अरेराज महंत व समाजसेवियों द्वारा पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली के रघुनाथपुर बाजार स्थित मंदिर का निर्माण कराया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 04:54 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 04:54 PM (IST)
जानिए कैसे माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाया
जानिए कैसे माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाया

मुजफ्फरपुर। करीब दो सौ वर्ष पहले अंग्रेजों के समय में अरेराज महंत व समाजसेवियों द्वारा पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली के रघुनाथपुर बाजार स्थित मंदिर का निर्माण कराया गया। यहां दुलर्भ अष्टधातु से निर्मित शिव ¨लग की स्थापना की गई। प्रसिद्ध नदी सिकरहना से लोग जलभर कर शिवालय में जलाभिषेक करते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यहां सालो भर लोग पूजा करने आते रहते हैं। जानकर बताते हैं कि सच्चे व पवित्र मन से स्नान कर पूजा-अर्चना करने पर भक्त की मनोकामना निश्चित पूरी होती है। यहां दूर दराज से भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते रहते हैं।

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मोतिहारी से 35 किलोमीटर पश्चिम, बेतिया से 41 किलोमीटर पूरब, रक्सौल से 36 किलोमीटर दक्षिण, अरेराज से 35 किलोमीटर उत्तर दिशा में करमवा रघुनाथपुर बाजार परिसर में अवस्थित है। यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग है। सुगौली स्टेशन और स्टेशन चौक से वाहन से पहुंचा जा सकता है। भक्ति व आस्था से आते हैं उनकी मनोकामना जरूर होती पूरी

पुजारी उदय मिश्रा बताते हैं कि यहां जो भी शिवभक्त सही भक्ति व आस्था से आते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। सालों भर लोग इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं।

भक्त अमित कुमार ¨सह बताते हैं कि इस मंदिर में आते ही शांति मिलती है। यहां सच्चे मन से पूजा करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। सावन भगवान शिव का अति प्रिय महीना

पंडित विपुल तिवारी आचार्य बताते हैं कि श्रावण मास भगवान शिव का अति प्रिय हैं कि श्रावण मास भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता है। इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सति ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन व्यतीत किया। उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण महीने में कठोर तपस्या की। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूर्ण की। अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान् शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय है। यही कारण है कि इस लिए इस महीने में शिव की पूजा अर्चना के लिए वर्णित है कि'यम् यम् इच्छयेत कामम्तम् तम् प्राप्तनोति निश्चितं'अर्थात जिसकी जो मनोकामना होती है उसकी वह मनोकामना पूर्ण होती है। इसी कारण से सावन में सोमवारी को जलाभिषेक, रुद्राभिषेक इत्यादि का विशेष महत्व है।


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