Move to Jagran APP

मीनापुर थानाध्यक्ष रजनीश कुमार की करतूत से फिर दागदार हुई खाकी Muzaffarpur News

पूर्व में भी काजीमोहम्मदपुर के प्रभारी थानेदार समेत कई पुलिसकर्मी शराब मामले में जा चुके हैं जेल। मोतीपुर के पूर्व थानाध्यक्ष व जमादार पर भी लग चुका शराब का दाग।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 01:37 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 01:37 PM (IST)
मीनापुर थानाध्यक्ष  रजनीश कुमार की करतूत से फिर दागदार हुई खाकी Muzaffarpur News
मीनापुर थानाध्यक्ष रजनीश कुमार की करतूत से फिर दागदार हुई खाकी Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर [संजीव कुमार]। मीनापुर थानाध्यक्ष रजनीश कुमार के करतूत ने फिर एक बार खाकी को दागदार कर दिया। वहीं इसके पूर्व भी शराब मामलों में जिला पुलिस कई बार बदनाम हो चुकी है। करीब ढ़ाई साल पूर्व काजीमोहम्मदपुर थाना के प्रभारी थानेदार समेत दर्जन भर पुलिसकर्मियों पर शराब मामले में कार्रवाई की गई थी। बावजूद वर्दीधारियों ने सरकार के आदेश के ठेंगा दिखाकर पूरे महकमे पर धब्बा लगा दिया। बीते साल नगर थाने के दारोगा मनोज निराला ने  शराब पीकर उत्पात मचाया था। इसके बाद वह गिरफ्त में आया तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गई। इसके बाद मोतीपुर के पूर्व थानाध्यक्ष व जमादार पर भी शराब का दाग लगा। 

loksabha election banner

दारोगा समेत 75 पुलिसकर्मियों पर शराब की गिरी थी गाज

शराब मामले में अबतक जोन के दस जिलों में पदस्थापित इंस्पेक्टर, दारोगा समेत 75 पुलिसकर्मियों गाज गिर चुकी है। शराबबंदी के बाद नियम तोडऩे पर चार पुलिसकर्मियों को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। इसके अलावा 71 पुलिसकर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई की गई। बावजूद वर्दीधारियों में कानून का डर नहीं दिख रहा है। 

जिले में इंस्पेक्टर, दारोगा समेत सात पर हुई थी कार्रवाई

जिले में तैनात दो दारोगा बर्खास्त हुए वहीं पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया। बर्खास्त होने वालों में दारोगा रामेश्वर सिंह व भगवान सिंह शामिल हैं। जबकि, निलंबित होने वालों में मीनापुर के तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर गोरख बैठा, दारोगा शशिरंजन, संजय प्रसाद समेत सात पुलिसकर्मी शामिल हैं। इन सभी को निलंबन से मुक्त कर दिया गया है। इसके अलावा नगर थाना के दारोगा मनोज निराला पर भी बर्खास्तगी की कवायद चल रही है। 

शराब माफिया को बचाने के लिए पुलिस करती है 'खेलÓ 

राज्य में पूर्ण शराबबंदी के बाद भी चोरी-छिपे दूसरे प्रदेशों से शराब की खेप पहुंच रही है। सूचना पर बड़े पैमाने पर शराब की बरामदगी भी की जा चुकी है, लेकिन शराब तस्करों व माफिया पर शिकंजा कसने के बजाय उन्हें बचाने के लिए थाने स्तर के पदाधिकारियों द्वारा 'खेलÓ किया जाता है। कुछ महीने पूर्व अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक ने कई जिलों में शराब से संबंधित दर्ज केसों की समीक्षा की थी। बेतिया व मोतिहारी जिले की समीक्षा में कई त्रुटियां मिलीं। इसको लेकर एडीजी ने राज्य के सभी एसपी को जांच का निर्देश दिया था। पत्र के आलोक में पुलिस महानिरीक्षक (मद्यनिषेध) ने भी पत्र जारी किया था।  

सही धारा नहीं लगाने के कारण संपत्ति जब्त करना संभव नहीं

एडीजी के पत्र में कहा गया था कि समीक्षा में पाया गया कि शराब से संबंधित कई केसों में आइपीसी की धारा 420, 467, 468 आदि के आवश्यक तत्व मौजूद रहने के बावजूद इन धाराओं का प्रयोग नहीं किया गया। इसके कारण शराब के धंधे में शामिल तस्कर व माफिया की संपत्ति प्रेवेनशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के माध्यम से जब्त करना संभव नहीं हो पाएगा। इस तरीके से थाना स्तर के पदाधिकारी शराब माफिया को बचाने के लिए खेल करते हैं। 

वाहनों के मालिकों का पता लगाने को टीम नहीं गई राज्य से बाहर

शराब से संबंधित कई मामलों में उत्तर प्रदेश, नागालैंड, हरियाणा, पंजाब समेत अन्य प्रदेशों के ट्रक व टैंकर जब्त किए गए, लेकिन, पुलिस की टीम वाहन के स्वामित्व का सत्यापन करने राज्य से बाहर नहीं गई। इसके बाद डीएसपी के नेतृत्व में विशेष टीम बनाकर संबंधित राज्य में जाकर जब्त वाहनों के संबंध में छानबीन करने का निर्देश दिया गया, लेकिन अभी भी निर्देश का पालन नहीं हो रहा है।

 मोतीपुर के पूर्व थानाध्यक्ष पर भी शराब बेचने का लगा था आरोप

 माफिया से साठगांठ व जब्त कर थाने में रखी गई शराब की बिक्री के आरोप में इसी वर्ष मोतीपुर के तत्कालीन थानेदार भी सुर्खियों में थे। थानेदार के अलावा एक जमादार पर भी शराब बिक्री में संलिप्त होने का आरोप लगाया गया था। बाद में पटना से पहुंची मद्य निषेध की टीम ने जनवरी में कार्रवाई की थी। इसके बाद मोतीपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष कुमार अमिताभ व जमादार अमरीका प्रसाद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। वहीं दोनों फरार हो गए थे।

 इसके बाद पूर्व थानाध्यक्ष के पटना स्थित आवास पर कुर्की की कार्रवाई की गई। अभी उन्हें विभाग से भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। बताते चलें कि थानाध्यक्ष के आवास से 79 लीटर शराब, 97 हजार 22 रुपये, बिछावन के नीचे से एक अवैध पिस्टल, एक पैकेट कारतूस और कई आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए थे। जबकि, थानेदार फरार हो गए थे। इसके बाद कई संगीन धाराओं में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। 

सिस्टम पर उठे थे सवाल

मोतीपुर थानाध्यक्ष कुमार अमिताभ के शराब माफिया से साठगांठ का खेल उजागर होने के बाद पूरे सिस्टम पर सवाल उठा था। जांच में पाया गया कि मोतीपुर थाने की स्टेशन डायरी भी कई दिनों तक लंबित थी। जबकि मुख्यालय का आदेश था कि प्रत्येक घंटे स्टेशन डायरी अपडेट रखना है। 

थाने के सभी पुलिसकर्मी हुए थे लाइन हाजिर

शराब की हेराफेरी का मामला उजागर होने के बाद मोतीपुर थाने के सभी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया था। इस कार्रवाई के बाद वरीय अधिकारी भी मद्य निषेध विभाग की कार्रवाई की जद में आ गए थे। जिले के वरीय पुलिस अधिकारियों को भी कठघरे में ला दिया गया था। मामले की गंभीरता को देख तत्कालीन जोनल आइजी ने मोतीपुर थाने में पदस्थापित सभी पुलिस पदाधिकारियों और सशस्त्र बलों को लाइन हाजिर कर दिया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.