अब बिहार के बाघों की निगरानी करेंगे कर्नाटक के हाथी
बिहार में अब बाघों की निगरानी कर्नाटक के हाथियों और ड्रोन के जरिए की जाएगी। हाथियों के सहारे बाघों और अन्य वन्य प्राणियों की मॉनीटरिंग व गतिविधियों की जानकारी ली जाएगी।
बेतिया [शशि कुमार मिश्र]। बिहार में अब बाघों की निगरानी कर्नाटक के हाथियों और ड्रोन के जरिए की जाएगी। इसके लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) प्रशासन ने एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। वहां से मुहर लगते ही मध्य प्रदेश एवं असम के जंगलों के बाद बिहार देश का तीसरा ऐसा राज्य हो जाएगा, जहां यह व्यवस्था होगी।
वन क्षेत्र में बढ़ते दबाव के कारण बहुत से बाघ भटक कर आबादी वाले क्षेत्र में पहुंच जा रहे हैं। इसके साथ ही शिकारियों की नजर भी बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों पर रहती है। इसे देखते हुए वीटीआर प्रशासन ने भटके वन्य प्राणियों की खोज व शिकारियों से बाघों की सुरक्षा के लिए प्रस्ताव तैयार किया है।
इसके तहत कर्नाटक से एक साथ 10 हाथी मंगाए जाएंगे। हाथियों के सहारे बाघों और अन्य वन्य प्राणियों की मॉनीटरिंग व गतिविधियों की जानकारी ली जाएगी। इसके अलावा एक ड्रोन की भी व्यवस्था की जा रही है।
वीटीआर के क्षेत्र निदेशक एस चंद्रशेखर ने बताया कि अगर कोई बाघ या अन्य जानवर भटक गया तो ड्रोन के सहारे उसकी गतिविधियों की जानकारी ली जाएगी। जब ड्रोन से उनका मूवमेंट पता चल जाएगा तो हाथी के सहारे वन कर्मी ट्रैंक्यूलाइजर से उसे बेहोश करेंगे। इसके बाद उसे संरक्षित वन क्षेत्र में लाकर छोड़ दिया जाएगा।
यह वन्य प्राणियों को चिन्हित करने एवं शिकारियों से बचाव की अत्याधुनिक तकनीक है। इसे राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकार व वन्य प्राणी संस्थान, देहरादून ने भी संयुक्त रूप से अनुशंसित किया है।
इसलिए उठाया गया कदम
हाल के वर्षों में वीटीआर से बाघों सहित कई वन्य प्राणी भटक कर गन्ने के खेत और रिहायशी इलाके में पहुंच गए। लोगों पर हमला कर दिया। इस वर्ष बाढ़ के दौरान नेपाल के चितवन पार्क से भटक कर कई गैंडे वीटीआर में आ गए थे। उनको रेस्क्यू करने के लिए नेपाल से ही हाथियों को मंगाना पड़ा था।
वीटीआर एवं रिहायशी इलाकों में भटके बाघों व अन्य वन्य प्राणियों को लेकर वार्षिक कार्य योजना के तहत एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। सबकुछ ठीक रहा तो शीघ्र ही यहांं हाथियों का आगमन हो जाएगा। ड्रोन की भी व्यवस्था हो जाएगी। इससे गश्त लगा रहे वन कर्मियों को सुरक्षा में भी मिलेगी।
-एस. चंद्रशेखर, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व