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Positive India: आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहा पिश्चम चंपारण का छोटा सा गांव जमादार टोला

पिश्चम चंपारण के 543 घरों के इस गांव में हर परिवार का कोई न कोई हुनरमंद ये 30 गांवों की जरूरतें करते हैं पूरी। फर्नीचर व आभूषण निर्माण और राजमिस्त्री सहित अन्य कार्य करते हैं।

By Murari KumarEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 07:31 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 07:31 AM (IST)
Positive India: आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहा पिश्चम चंपारण का छोटा सा गांव जमादार टोला
Positive India: आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहा पिश्चम चंपारण का छोटा सा गांव जमादार टोला

पश्चिम चंपारण [उपेंद्र शुक्ल]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के मंत्र को बगहा का छोटा सा गांव जमादार टोला साकार कर रहा है। तकरीबन 543 घरों के इस गांव के हर परिवार का कोई न कोई व्यक्ति हुनरमंद है। लोहे का औजार बनाना, आभूषण व फर्नीचर निर्माण, इलेक्ट्रीशियन, मोबाइल रिपेयरिंग सहित अन्य कार्यों से लोग जुड़े हैं। महीने से 10 से 15 हजार रुपये की आमदनी कर लेते हैं। पांच दर्जन से अधिक प्रवासी घर लौटे हैं। अब वे भी यहीं काम कर रहे। वापस नहीं जाने का भी फैसला लिया है।

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जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर बगहा प्रखंड की सिसवा बसंतपुर पंचायत का जमादार टोला देखने में तो देश के अन्य गांवों की ही तरह है, लेकिन इसे हुनरमंदों का गांव कह सकते हैं। तकरीबन तीन हजार आबादी वाले इस गांव में फर्नीचर बनाने वाले 25, आभूषण निर्माण वाले आठ, मोबाइल बनाने वाले 10, टीवी बनाने वाले सात, बाइक मिस्री तीन और 20 दर्जी के अलावा इलेक्ट्रिक इंजीनियर और राजमिस्त्री सहित अन्य कार्य से जुड़े लोग हैं। 30 किराना तो छह चाय की दुकान चलाते हैं। 50 गोपालन और पांच मुर्गी पालन से जुड़े हैं। बहुत से लोग खेती करते हैं। यह गांव आसपास के तकरीबन 30 गांवों की हर जरूरत पूरी करता है।

आभूषण कारीगर अवधेश प्रसाद सोनी व फर्नीचर बनाने वाले राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि गांव छोड़कर दूसरी जगह जाने की सोच भी नहीं सकते। रविशंकर प्रसाद किराना की दुकान चलाने के साथ मोबाइल रिपेयरिंग भी करते हैं। मुन्ना खां मकान बनाने में किसी इंजीनियर से कम तजुर्बा नहीं रखते। दूसरे गांवों के लोग घर की डिजाइन के लिए उनके पास आते हैं।

परदेस नहीं जाने का संकल्प

दूसरी ओर कोरोना काल में 65 प्रवासी घर आए हैं। ये भी यहीं काम कर रहे हैं। गोरख साह उनमें से एक हैं। वे नेपाल में सब्जी का कारोबार करते थे। लॉकडाउन में किसी तरह घर आए। अब गांव में ही सब्जी की दुकान खोल ली है। अवधेश प्रसाद सोनी दिल्ली में आभूषण की दुकान में काम करते थे। अब यहीं निर्माण व बिक्री का कार्य कर रहे। मोतीचंद शर्मा पहले श्रीनगर में थे। अब यहीं खुरपी, हसुआ, हल व कुदाल के साथ कई उपयोगी औजार बना रहे। मुन्ना खां कश्मीर से लौटने के बाद खेती कर रहे। सभी ने परदेस नहीं जाने का संकल्प लिया है।

पंचायत की मुखिया रिजवाना खातून कहती हैं कि गांव के लोग मेहनती और हुनरमंद हैं। बगहा विधायक आरएस पांडेय कहते हैं कि जमादार टोला के ग्रामीण दूसरों के लिए मिसाल हैं। राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाकर इन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा।


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