चिंताजनक : एल्कोहल व ड्रग्स से कम नहीं इंटरनेट की लत, हो रहें ये नुकसान
15-25 वर्ष उम्र वर्ग के सर्वाधिक छात्र इंटरनेट इस्तेमाल से खुद को रोक नहीं पाते। 60 फीसद ग्रामीण युवा इंटरनेट एडिक्शन की चपेट में। प्रॉब्लमेटिक इंटरनेट यूज की चपेट में आ रहे युवा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। इंटरनेट की लत मनोविकार की वजह बन रही। छात्रों में तो यह सार्वजनिक समस्या है। मेडिकल साइंस इसे एल्कोहल, गांजा व ड्रग्स आदि के एडिक्शन की श्रेणी में रखकर रिसर्च कर रहा। मनोचिकित्सक इस अवस्था को प्रॉब्लमेटिक इंटरनेट यूज (पीआइयू, यानी समस्याग्रस्त इंटरनेट का उपयोग) कह रहे। उनकी भाषा में पीआइयू वह स्थिति है, जब इंटरनेट उपयोग करने वाला चाहकर भी इससे अलग नहीं हो पाता।
यह मानसिक और शारीरिक विकास को अवरुद्ध करने के साथ सामाजिक व्यवहार में ङ्क्षहसक प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहा। स्थानीय मनोचिकित्सक भी पीआइयू जैसी स्थिति को भांपते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक इंटरनेट एडिक्शन सिंड्रोम को चिंताजनक बताते हैं। उनका कहना है कि पीडि़त होने के बाद भी जिले में ऐसे केस अस्पतालों तक नहीं पहुंच रहे।
स्नातक के छात्र सर्वाधिक प्रभावित
इंटरनेट यूज को लेकर स्थानीय सर्वे हैरान करने वाला है। युवाओं में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के प्रति बढ़ता क्रेज उनकी पढ़ाई, सामाजिक और पारिवारिक व्यवहार को प्रभावित कर रहा। शहरी क्षेत्र में 85 फीसद छात्र रोजाना एक से चार घंटे इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इनमें सर्वाधिक 50 फीसद स्नातक के छात्र हैं। 20-20 फीसद के साथ स्नातकोत्तर और 12वीं के छात्र दूसरे नंबर पर हैं। 10वीं के छात्र भी इससे अछूते नहीं। उनका ग्राफ 10 फीसद है।
इंटरनेट इस्तेमाल से खुद को नहीं रोक पाते
युवा बताते हैं कि वे खुद को इंटरनेट यूज करने से रोक नहीं पाते। इनमें सर्वाधिक 15 से 25 साल के हैं। 10 में चार छात्रों ने बताया कि उन्हें इंटरनेट यूज करने का मकसद नहीं पता होता। बस, सर्फिंग, सोशल साइट्स चैटिंग या फिर ऑनलाइन गेम खेलते हैं। उनका कहना था कि सोने से पहले काफी देर तक नेट सर्फिंग करते हैं। सुबह उठते ही सोशल साइट्स पर जाते हैं।
ग्रामीण इलाकों की स्थिति भी चिंताजनक
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आइएएमएआइ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 60 फीसद युवा इंटरनेट एडिक्शन की चपेट में हैं। इनमें भी 15 से 25 वर्ष उम्र वर्ग के हैं। स्थानीय युवाओं से बातचीत में पता चला कि इंटरनेट उनके लिए मनोरंजन का साधन है। वे ऑनलाइन वीडियो-मूवी से लेकर सोशल साइट्स का इस्तेमाल करते हैं। धीरे-धीरे मनोरंजन की स्थिति पीआइयू लेबल पर पहुंच जाती है।
दुष्प्रभाव जानते हुए भी नहीं पाते छुटकारा
12वीं के एक छात्र का कहना है कि हाईस्कूल की परीक्षा देने के बाद खाली समय में मोबाइल व लैपटॉप पर नेट चलाने की छूट मिल गई। सोशल मीडिया के अलावा ऑनलाइन मूवी देखने लगा। स्कूल-कोचिंग से जो समय बचता, उसमें अधिकतर समय ऑनलाइन ही रहते हैं।
स्नातक की एक छात्रा का कहना है कि हर रोज सोचती हूं कि आज से इंटरनेट नहीं चलाना है, लेकिन मोबाइल हाथ में आते ही भूल जाती। वहीं, ग्रामीण इलाकों के कुछ युवाओं का कहना है कि मोबाइल पर मूवी देखना ही उनका मनोरंजन है। टीवी सार्वजनिक है। मोबाइल में कुछ भी देखने की आजादी है।
इस बारे में एसकेएमसीएच मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आइडी सिंह ने बताया कि 'इंटरनेट का अधिकतम उपयोग मानसिक विकार उत्पन्न करता है। इसकी लत एल्कोहल और ड्रग्स जैसी होती है। यह शारीरिक और मानसिक, दोनों स्तर पर नुकसान पहुंचाता है। सामाजिक व्यवहार में भी काफी बदलाव आ जाता है।Ó