बचपन के शौक को दिया संग्रहालय का स्वरूप
मुजफ्फरपुर लोग तो चले जाते हैं मगर उनकी यादें हमेशा बनी रहती हैं।
मुजफ्फरपुर : लोग तो चले जाते हैं, मगर उनकी यादें हमेशा बनी रहती हैं। ये यादें भी कई तरह से संजोकर रखी जाती हैं। हमारे पूर्वजों ने अपनी यादों को सुंदर तरीके से संजोकर रखा, जिससे हम भी उनके बारे में जान सकें। ऐसी कई चीजें हैं, जो पूर्वज तो हमारे लिए रख गए। उन्हें नुकसान नहीं पहुंचे इसके लिए संग्रहालय बना दिए। ये हमें अपने पूर्वजों को याद रखने में मदद करते हैं। इसकी भूमिका के बारे में लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है। वरिष्ठ समाजसेवी रामकिशोर सिंह व हरिराम मिश्र बताते हैं वास्तव में इसे मनाने का उद्देश्य समाज को संग्रहालय के महत्व से अवगत कराना है। कई संगठन ऐसे हैं जो इस दिन संग्रहालयों की मुफ्त ट्रिप आयोजित करते हैं। लोग दोस्त, परिवार और रिश्तेदारों के साथ संग्रहालय देखने जाते हैं। अभी लॉकडाउन से संग्रहालय बंद हैं। इससे उन्हें निराश होना पड़ सकता है।
रंगकर्मी सुधीर ने पुरानी करेंसी
और टिकट का किया संग्रह
बचपन के शौक को अगर जारी रखा जाए तो वह रिकॉर्ड के रूप में बदल सकता है। ऐसा ही एक शौक गोला रोड स्थित रंगकर्मी सुधीर कुमार को है। उनका घर किसी संग्रहालय से कम नहीं है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण चीजों को सहेज कर रखा है। जो आने वाले समय में किसी धरोहर से कम नहीं साबित होंगी। लॉकडाउन में लोग इनके द्वारा किए गए संग्रह की जानकारी ले रहे हैं। वे बताते हैं कि पुरानी चीजों को संग्रह करने का शौक उन्हें बचपन से है। बचपन में वे घर में इधर-उधर पड़ी वस्तुओं को एकत्र करते थे। इसके बाद दूसरे देशों की करेंसी व सिक्के संग्रह किए। आज उनके पास भारत के अलावा नेपाल, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया आदि कई देशों की करेंसी व सिक्के हैं। साथ ही उन्होंने डाक टिकट, पोस्टकार्ड व अंतर्देशीय पत्र भी संग्रह किए हैं। इस कार्य में पत्नी निशि कुमारी वर्मा भी उनकी मदद करती हैं। कहते हैं कि इस कार्य में उन्हें काफी खुशी होती है। वे अपने स्कूल में बच्चों को भी नाटक से जुड़ने के साथ सामाजिक कार्यो के लिए प्रेरित करते हैं।