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मुजफ्फरपुर में गोशाला की जमीन पर नहीं होगा इंटरमीडिएट पंपिग सिस्टम का निर्माण

एनओसी देने से गोशाला विकास पदाधिकारी का इन्कार कहा-जमीन नहीं की जा सकती हस्तांतरित। सिकंदरपुर गोशाला की करीब 27 डिसमिल जमीन होनी थी हस्तांतरित डीएम ने मांगा था एनओसी। इसकी जमीन को हस्तांतरित या लीज पर देने का प्रविधान नहीं है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 02:30 PM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2022 02:30 PM (IST)
मुजफ्फरपुर में गोशाला की जमीन पर नहीं होगा इंटरमीडिएट पंपिग सिस्टम का निर्माण
गोशाला की स्थापना खास उद्​देश्य से की जाती है। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। सिकंदरपुर स्थित गोशाला की जमीन पर आइपीएस (इंटरमीडिएट पंपिग सिस्टम) का निर्माण नहीं हो सकेगा। पशुपालन निदेशालय के संयुक्त निदेशक ने आइपीएस के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं दी है। इस बारे में उन्होंने समाहर्ता प्रणव कुमार को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि गोशाला की स्थापना किसी खास उद्देश्य से किया गया है। गोशाला के विकास के लिए दान के रूप में जमीन दी गई है। इसकी जमीन को हस्तांतरित या लीज पर देने का प्रविधान नहीं है। इसे देखते हुए आइपीएस के लिए एनओसी नहीं दी जा सकती।

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विदित हो कि सीवरेज एंड ड्रैनेज योजना के तहत गोशाला की जमीन पर आइपीएस के लिए 625 वर्गमीटर जमीन चिह्नित की गई थी। इसके लिए समाहर्ता ने एनओसी की मांग की थी। वहीं गोशाला विकास पदाधिकारी, पटना डा. राकेश कुमार ने जारी पत्र मेें लिखा है कि उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि गोशाला की भूमि का उपयोग गोशाला से अलग नहीं हो सकता। उक्त आदेश को ध्यान में रखकर ही आगे की कार्रवाई की जाए। उन्होंने गोशाला की जमीन को लेकर विभागीय सचिव के पत्र का भी हवाला दिया है।

लीज पर देने का प्रविधान नहीं

- हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव ने पत्र जारी किया है। इसके अनुसार गोशाला प्रबंध समिति द्वारा मनोनुकूल प्रस्ताव पास करा लिया जाता है। इससे गोशाला को क्षति पहुंचाई जाती है। इन्हें चिह्नित कर कार्रवाई की जाए।

- बिहार गोशाला एक्ट एवं इससे संबंधित नियमावली एवं विनियमावली की किसी भी धारा में गोशाला की परिसंपत्ति को लीज पर देने का प्रविधान नहीं है। इसे देखते हुए लीज पर दी गई गोशाला की परिसंपत्तियों को रद करने की कार्रवाई की जाए।

- कुछ गोशाला में आय की वृद्धि के लिए दुकान बनाकर किराया लगाया हुआ है। उस दुकान का किराया स्थानीय बाजार दर पर निर्धारित की जाए।

- खेती योग्य गोशाला की भूमि कृषि कार्य से अलग किया जा रहा है। इन भूमि का उपयोग कृषि कार्य या चारा उत्पादन के लिए किया जाए।

जिले में गोशाला की 40 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण

जिले में गोशाला की करीब 40 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण है। इनमें से कई गोशाला की जमीन की खरीद-बिक्री तक कर दी गई है। यहां तक की उसकी जमाबंदी भी कर दी गई है। नाजिरपुर गोशाला की करीब 20 एकड़ जमीन दूसरे के कब्जे में है। सिकंदरपुर में जहां आइपीएस का निर्माण किया जाना है वहां भी 10 कट्ठा जमीन पर अतिक्रमण है। इसके अलावा चंदवारा गोशाला की 6.5 एकड़, कन्हौली गोशाला की तीन एकड़ एवं मुशहरी गोशाला की आठ एकड़ जमीन पर कब्जा है। 


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