ऑनलाइन दाखिल-खारिज में आ रही बाधाओं को दूर करने का निर्देश, जानें क्या व्यवस्था होने जा रही
ऑनलाइन जमाबंदी में खेसरा का अद्यतन अंचलाधिकारी के माध्यम से किया जाता है। दाखिल-खारिज आवेदन का प्रतिवेदन ऑफलाइन प्रपत्र में तैयार कर दिया जाता है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। ऑनलाइन प्राप्त दाखिल-खारिज से संबंधित आवेदन के निष्पादन में आ रही बाधा को दूर करने के संबंध में भूमि सुधार उप समाहर्ता पश्चिम ने निर्देश जारी किया है। जिसमें राजस्व कर्मचारी व अंचल निरीक्षक को दाखिल-खारिज आवेदन को अपनी आइडी से ऑब्जेक्शन संबंधित जमाबंदी में वर्णित खाता, खेसरा, रकबा अद्यतन करने हेतु सूची लगाकर प्रतिवेदित करने को कहा है। अंचल निरीक्षक इससे संबंधित प्रतिवेदन कार्यालय को प्रत्येक सप्ताह के शनिवार को भेजना सुनिश्चत करेंगे।
नामांतरण कायम करने में विलंब
दाखिल-खारिज के ससमय निष्पादन हेतु हुई बैठक में राजस्व कर्मचारियों ने बताया कि ऑनलाइन प्राप्त दाखिल-खारिज आवेदन के ससमय निष्पादन हेतु जांच प्रतिवेदन समर्पित करने के दौरान जमाबंदी पंजी में खेसरा अद्यतन नहीं रहने से नामांतरण कायम करने में अनावश्यक विलंब होता है। ऑनलाइन जमाबंदी में खेसरा का अद्यतन अंचलाधिकारी के माध्यम से किया जाता है। दाखिल-खारिज आवेदन का प्रतिवेदन ऑफलाइन प्रपत्र में तैयार कर दिया जाता है। परंतु ससमय खेसरा जमाबंदी में अद्यतन नहीं होने से प्रतिवेदन में विलंब होता है।
पांच राजस्व कर्मचारी से स्पष्टीकरण
ऑनलाइन दाखिल-खारिज के समय पर निष्पादन नहीं करने और लापरवाही बरतने के मामले में कुढऩी अंचल के पांच राजस्व कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इनमें राजस्व कर्मचारी चंद्रिका दास, शत्रुघ्न राम, आनंद मुरारी, अश्विनी कुमार व नागेंद्र नाथ आनंद शामिल हैं। भूमि सुधार उप समाहर्ता पश्चिम ने इन्हें दो दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है। नहीं तो इस लापरवाही एवं वरीय पदाधिकारी के आदेश की अवहेलना के आरोप में प्रपत्र क गठित कर कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी के पास भेज दिया जाएगा।
बताया गया कि 30 जून 2019 तक ऑनलाइन प्राप्त दाखिल-खारिज का निष्पादन 31 अक्टूबर तक करने हेतु विभाग से निर्देश प्राप्त था। परंतु 11 जनवरी 2020 तक के प्रतिवेदन के आधार पर सभी लंबित आवेदन ज्यों के त्यों पड़े हैं। जिसमें चंद्रिका दास के अंतर्गत 285 और शत्रुघ्न राम के अंतर्गत 105 आवेदन लंबित पड़े हैं। इसमें कुछ मामले ऐसे हैं जो 2018-2019 में ही प्राप्त हुए थे। बार-बार निर्देश देने के बाद भी आवेदनों को लंबित रखा गया है। इसी तरह आनंद मुरारी के पास 80, अश्विनी कुमार के पास 27 और नागेंद्र नाथ आनंद के पास 58 आवेदन लंबित पड़े हैं।